स्थानीय प्रतिभाओं को मिलेगा नया मंच
बिहार Bihar सरकार द्वारा लागू की गई नई फिल्म प्रोत्साहन नीति का उद्देश्य राज्य में फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करना है। इससे स्थानीय कलाकारों, तकनीशियनों और लोकेशन प्रोवाइडर्स को रोजगार के बेहतर अवसर मिल रहे हैं।
प्रोड्यूसर्स को मिल रही आर्थिक सहायता
- इस नीति के तहत प्रोड्यूसर्स को सब्सिडी, टैक्स रिबेट और शूटिंग सुविधाओं पर छूट जैसे कई लाभ दिए जा रहे हैं। इससे बिहार अब फिल्मों की शूटिंग के लिए एक पसंदीदा राज्य बनता जा रहा है।
- Bihar सरकार की नई फिल्म प्रोत्साहन नीति राज्य में हिंदी फिल्म निर्माताओं के लिए संजीवनी साबित हो रही है. बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के प्रयासों से अब फिल्म उद्योग का ध्यान लगातार बिहार की ओर आकर्षित हो रहा है. इसका ताजा उदाहरण फिल्म टिया है, जिसकी सौ प्रतिशत शूटिंग बिहार में ही की जा रही है।
- राव देवेंद्र सिंह के निर्देशन में बन रही यह एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है, जिसमें द कश्मीर फाइल्स के अभिनेता दर्शन कुमार और काली काली आंखें वेब सीरीज की अभिनेत्री आंचल सिंह मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. बाल कलाकार की भूमिका ईरा सिन्हा निभा रही हैं।
फिल्म की शूटिंग वाल्मीकिनगर से शुरू हुई
फिल्म की शूटिंग वाल्मीकिनगर से शुरू हुई और अब राजधानी पटना में चल रही है. फिल्म निर्माता सागर श्रीवास्तव ने राज्य सरकार की इस नीति की खुलकर सराहना की और बताया कि उन्हें शूटिंग के दौरान न केवल सरकारी सहयोग मिला. बल्कि, स्थानीय लोगों से भी भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ।
90 प्रतिशत हिस्सा वाल्मीकिनगर और आसपास के क्षेत्रों में फिल्माया गया है. जबकि, शेष 10 फीसदी शूटिंग पटना के बोरिंग रोड, मरीन ड्राइव, इस्कॉन मंदिर और राजवंशी नगर जैसी जगहों पर हो रही है. 20 जून तक पूरी शूटिंग समाप्त हो जाएगी और यह फिल्म नवंबर में सिनेमाघरों में रिलीज होने की संभावना है।
इस मामले में कला, संस्कृति और युवा
इस मामले में कला, संस्कृति और युवा विभाग के सचिव प्रणव कुमार का कहना है कि फिल्म टिया की पूरी शूटिंग बिहार में होना राज्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है. यह देखकर प्रसन्नता होती है कि फिल्म निर्माता अब बिहार की संस्कृति, लोकेशंस और स्थानीय प्रतिभाओं को गंभीरता से ले रहे हैं. चाहे वाल्मीकि नगर की प्राकृतिक सुंदरता हो या पटना की आधुनिक पहचान- इन सबको बड़े पर्दे पर देखना गर्व की बात है।
मुझे उम्मीद है कि ऐसे प्रयासों से न केवल फिल्म उद्योग को गति मिलेगी, बल्कि स्थानीय युवाओं को नए अवसर भी प्राप्त होंगे. बिहार में इस तरह की रचनात्मक गतिविधियां लगातार बढ़ें—मैं व्यक्तिगत रूप से यही कामना करता हूं।