कम रिटर्न का बढ़ता खतरा
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) द्वारा रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की हालिया कटौती के बाद फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी की ब्याज दरों में भारी गिरावट की आशंका बढ़ गई है। यह इस वर्ष की चौथी कटौती है, जिससे कुल कमी 125 bps तक पहुँच गई और रेपो रेट घटकर 5.25% हो गई। ऐसे में निवेशकों के सामने यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अब एफडी में निवेश की चमक फीकी पड़ सकती है?
देश(India) के कई छोटे शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सुरक्षित निवेश के रूप में एफडी को बेहतर विकल्प मानते हैं। ब्याज दरों में लगातार कमी होते देख विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशक अब वैकल्पिक साधनों की ओर रुख कर सकते हैं। ब्याज घटने से लंबे समय के रिटर्न प्रभावित होने की संभावना भी बढ़ती जा रही है।
मौजूदा एफडी को नहीं होगा नुकसान
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्याज दरों में बदलाव का असर चल रही एफडी(FD) पर नहीं पड़ता। यदि किसी निवेशक ने पहले ही तय ब्याज दर पर एफडी कराई है, तो परिपक्वता तक उन्हें वही रिटर्न मिलता रहेगा। नई एफडी कराने वालों के लिए स्थिति अलग है, क्योंकि उन्हें अब कम ब्याज दर मिलने की पूरी संभावना है।
इसी बीच, कम ब्याज से मिलने वाली मैच्योरिटी राशि भी घटेगी। इसका प्रत्यक्ष अर्थ यह है कि समान अवधि में पहले जितना रिटर्न मिलता था, अब उससे कम प्राप्त होगा। जो लोग अपने भविष्य की योजनाओं के लिए एफडी पर निर्भर रहते हैं, उन्हें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
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और घट सकती हैं बैंक दरें
विशेषज्ञ बताते हैं कि बैंकों और स्मॉल फाइनेंस बैंकों ने अभी तक रेपो रेट कटौती का पूरा प्रभाव एफडी दरों में शामिल नहीं किया है। हाल में की गई 25 bps की कमी संकेत देती है कि आगे भी ब्याज दरों में गिरावट संभव है। हालांकि बैंक बाजार की आवश्यकता और पूंजी की स्थिति के आधार पर दरें तय करते हैं, इसलिए यह अनुमान लगाना कठिन है कि कटौती कब तक जारी रहेगी।
आरबीआई का यह कदम महंगाई और आर्थिक विकास के संतुलन को ध्यान में रखकर उठाया गया है। खुदरा महंगाई ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुँच चुकी है, जबकि देश की जीडीपी वृद्धि मजबूत दिखाई दे रही है। यही कारण है कि बैंकिंग प्रणाली में सस्ते कर्ज को बढ़ावा देकर खर्च और निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
क्या मौजूदा एफडी को तोड़ना सही विकल्प है?
मौजूदा एफडी पर तय ब्याज दरें बदली नहीं जातीं, इसलिए उन्हें समय से पहले तोड़ना वित्तीय रूप से नुकसानदेह हो सकता है। यदि तत्काल धन की आवश्यकता न हो, तो मैच्योरिटी तक इंतजार करना बेहतर माना जाता है।
क्या निवेश के अन्य विकल्प अधिक लाभ दे सकते हैं?
बाजार विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि लोग म्यूचुअल फंड, एसआईपी, आरडी या सरकारी बॉन्ड जैसे विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं। यह हर व्यक्ति की जोखिम सहने की क्षमता और लक्ष्य अवधि पर निर्भर करता है।
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