अक्टूबर में रिकॉर्ड गिरावट की उम्मीद और इसके कारण
नई दिल्ली: सरकार आज, यानी 12 नवंबर को अक्टूबर महीने के लिए रिटेल महंगाई (Retail Inflation) के आंकड़े जारी करेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह महंगाई दर 0.50% के रिकॉर्ड सबसे निचले स्तर पर आ सकती है। यह संभावित गिरावट बेस ईयर 2012 के आधार पर सबसे कम होगी। इस बड़ी गिरावट का मुख्य कारण खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में लगातार कमी आना और केंद्र सरकार द्वारा किए गए GST में कटौती का असर माना जा रहा है। इससे पहले, सितंबर में खुदरा महंगाई दर 1.54% पर थी, जो लगभग 8 साल का निचला स्तर था।
बेस ईयर का महत्व और महंगाई की माप
बेस ईयर वह आधार वर्ष होता है जिसकी कीमतों को तुलना के लिए 100 का मान दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य तुलना को आसान बनाना और महंगाई का सही अनुमान लगाना है। बेस ईयर का उपयोग करके यह पता लगाया जाता है कि समय के साथ कीमतों में कितनी वृद्धि या कमी आई है। उदाहरण के लिए, भारत में रिटेल महंगाई कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) से तय होती है, जिसका वर्तमान बेस ईयर 2012 है। CPI आम ग्राहकों द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के औसत मूल्य में हुए बदलाव को मापता है और ब्याज दरें तय करने में इसका महत्वपूर्ण उपयोग होता है।
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महंगाई बढ़ने-घटने के पीछे का सिद्धांत
महंगाई(Retail Inflation) का बढ़ना या घटना मुख्य रूप से बाजार में उत्पादों की डिमांड (मांग) और सप्लाई (आपूर्ति) पर निर्भर करता है। जब लोगों के पास अधिक पैसा होता है और वे ज्यादा खरीदारी करते हैं, तो डिमांड बढ़ती है। यदि डिमांड के अनुसार सप्लाई नहीं होती है, तो कीमतें बढ़ जाती हैं और बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो, बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनती है। वहीं, अगर डिमांड कम होती है और सप्लाई ज्यादा, तो महंगाई नियंत्रित होती है या कम होती है।
रिटेल महंगाई दर (CPI) के लिए भारत में वर्तमान में कौन सा वर्ष ‘बेस ईयर’ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है?
भारत में रिटेल महंगाई(Retail Inflation) की गणना के लिए वर्तमान में वर्ष 2012 को बेस ईयर (आधार वर्ष) के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
अक्टूबर में रिटेल महंगाई दर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आने के पीछे एक्सपर्ट्स क्या मुख्य कारण बता रहे हैं?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, अक्टूबर में रिटेल महंगाई दर के रिकॉर्ड निचले स्तर (0.50% के नीचे) पर आने का मुख्य कारण खाने-पीने की चीजों की कीमतों में लगातार कमी और GST में कटौती का प्रभाव है।
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