मुंबई । बॉलीवुड फिल्म ‘द डर्टी पिक्चर (The Dirty Picture) भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक सांस्कृतिक क्रांति थी। करीब 14 साल पहले मिलन लूथरिया के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म ने महिला-प्रधान फिल्मों के लिए तय सीमाओं को तोड़ दिया और साबित कर दिया कि महिला कहानी की धुरी बन सकती है और बॉक्स ऑफिस पर राज कर सकती है।
विद्या बालन की ‘सिल्क’ बनी सिनेमा का उदाहरण
सिल्क के किरदार में विद्या बालन (Vidya Ballan) का प्रदर्शन सिनेमा के इतिहास में एक उदाहरण बन गया। उनके किरदार की इच्छा, महत्वाकांक्षा, साहस और भावनात्मक उतार-चढ़ाव ने दर्शकों को झकझोर दिया।
सामाजिक मानसिकता को चुनौती
‘द डर्टी पिक्चर’ ने न सिर्फ व्यापारिक सफलता हासिल की बल्कि सामाजिक मानसिकता को भी चुनौती दी। इस फिल्म ने कंटेंट-ड्रिव्रिन सिनेमा की दिशा बदल दी और साबित किया कि महिला-केंद्रित कहानियाँ भी ब्लॉकबस्टर हो सकती हैं।
संवाद आज भी लोकप्रिय
फिल्म के संवाद आज भी लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा हैं। “फ़िल्में सिर्फ़ तीन चीज़ों की वजह से चलती हैं: एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट… और मैं एंटरटेनमेंट हूँ।” इसके अलावा “कुछ लोगों का नाम उनके काम से होता है, मेरा बदनाम होकर हुआ है” और “जब ज़िंदगी एक बार मिली है, तो दो बार क्यों सोचें?” जैसे डायलॉग्स सिल्क (Dialogue Silk) की निडर सोच को उजागर करते हैं।
कल्ट क्लासिक का दर्जा
द डर्टी पिक्चर’ आज भी एक कल्ट क्लासिक है, क्योंकि इसने दर्शकों को यह सिखाया कि अपने सपनों और अस्तित्व के लिए लड़ना कभी गलत नहीं होता।
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