मुंबई । निर्देशक आदित्य सरपोतदार की मल्टीस्टारर हॉरर-वर्स फिल्म ‘थामा’ (Thama) ने भारतीय सिनेमा में नई दिशा दिखाई है। पिछली फिल्मों ‘स्त्री’ और ‘भेड़िया’ की तरह, यह फिल्म भी अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रही है।
हॉरर में प्रेम और मानवीय संवेदनाओं का मेल
- पिछली फिल्मों में डर और रहस्य जंगल के इर्द-गिर्द केंद्रित थे, लेकिन इस बार हॉरर को प्रेम और मानवीय भावनाओं के साथ प्रस्तुत किया गया है।
- कहानी एक रहस्यमय जंगल के आसपास घूमती है, जहां अतीत आज भी जीवित है और प्राचीन रक्षक सतर्क हैं।
- ‘थामा’ हॉरर-थ्रिलर होने के साथ-साथ इमोशनल कॉमेडी (Emotional Comedy) का अनुभव भी देती है, जिसमें डर, हंसी और प्यार का संतुलन है।
मुख्य कलाकारों का शानदार प्रदर्शन
- आयुष्मान खुराना छोटे शहर के पत्रकार आलोक के रूप में नजर आए, जिनका जीवन सुपरनैचुरल घटना से बदल जाता है।
- रश्मिका मंदाना ने भावुक और स्वाभाविक अभिनय किया, जिससे फिल्म की भावनात्मक गहराई बढ़ी।
- परेश रावल, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और सत्यराज ने भी अपनी भूमिकाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
रोमांचक दृश्य और स्पेशल इफेक्ट्स
- फिल्म का दूसरा भाग तेज़ गति से आगे बढ़ता है और कई जबरदस्त दृश्य प्रस्तुत करता है।
- खासकर आलोक और ‘भेड़िया’ के बीच की लड़ाई उच्च स्तरीय स्पेशल इफेक्ट (Special Effect) और बेहतरीन एक्शन सीन के साथ दर्शकों को रोमांचित करती है।
- ‘स्त्री’ के डरावने किरदार ‘सिरकटा’ की वापसी यूनिवर्स में बढ़ते खतरे का संकेत देती है।
कहानी में योगदान और कैमियो
- नोरा फतेही का कैमियो कहानी में अहम भूमिका निभाता है।
- गीत और दृश्य केवल दिखावे तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कहानी और पात्रों को आगे बढ़ाने में सहायक हैं।
सिनेमाई अनुभव और भविष्य
‘थामा’ ने बॉलीवुड हॉरर की पारंपरिक शैली को चुनौती दी और नया, समृद्ध और भावनात्मक अनुभव पेश किया।
- यह सिर्फ हॉरर फिल्म नहीं, बल्कि एक सिनेमाई ब्रह्मांड का हिस्सा है, जो भविष्य में क्रॉसओवर फिल्मों के लिए दिशा तय करता है।
- फिल्म लोककथाओं, पारिवारिक भावनाओं और मनोरंजन का मिश्रण पेश करती है, जो भारतीय हॉरर सिनेमा की पारंपरिक शैली से अलग है।
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