16 साल से शवों को ठिकाने लगाने की कही बात
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ (Dakshina Kannada) जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां धर्मस्थल मंदिर प्रशासन के साथ काम करने वाले एक पूर्व सफाईकर्मी (Cleaners) ने कई सनसनीखेज दावे किए हैं। व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि उसे सालों तक बलात्कार पीड़ितों के शवों को जलाने और दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। उसने हाल ही में स्थानीय पुलिस से संपर्क कर अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई है।
एक दशक बाद सामने आया पीड़ित, न्याय की मांग
‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, इस व्यक्ति ने बताया कि लगभग एक दशक बाद वह अपराधबोध और पीड़ितों को न्याय दिलाने की इच्छा के कारण सामने आया है। उसने दावा किया कि ये शव कई महिलाओं और स्कूल छात्राओं के थे, जिनका 1998 से 2014 के बीच धर्मस्थल और आसपास के इलाकों में बलात्कार कर हत्या की गई थी। दक्षिण कन्नड़ के पुलिस अधीक्षक अरुण के. ने बताया कि व्यक्ति ने अपनी पहचान गोपनीय रखने का अनुरोध किया है, और अदालत से ज़रूरी इजाज़त मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।

स्कूल यूनिफॉर्म में मिला छात्रा का शव
पूर्व सफाईकर्मी ने अपनी शिकायत में बताया कि शुरुआत में उसे लगा कि जो शव मिल रहे थे (जिनमें ज़्यादातर महिलाओं के बिना कपड़ों वाले शव थे) वे आत्महत्या या डूबने से हुई मौतें थीं। लेकिन कुछ शवों पर यौन उत्पीड़न, गला घोंटने और अन्य चोटों के निशान थे, जिससे उसे शक हुआ।
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, उसने एक घटना का ज़िक्र किया जिसने उसे हमेशा के लिए परेशान कर दिया, ‘2010 में कलेरी में पेट्रोल पंप से लगभग 500 मीटर दूर 12 से 15 साल की एक लड़की मृत पाई गई थी। उसने स्कूल यूनिफ़ॉर्म पहन रखी थी, लेकिन उसकी स्कर्ट और अंदरूनी कपड़े गायब थे। उसके शरीर पर यौन उत्पीड़न और गला घोंटने के निशान थे।’
मानव अवशेषों की तस्वीरें और परिवार की जान को खतरा
शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ओजस्वी गौड़ा और सचिन देशपांडे ने पुलिस के साथ उसके बयान का ब्योरा साझा किया। शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया है कि उसने मानव अवशेषों की तस्वीरें दी हैं, जिन्हें उसने हाल ही में खोदकर निकाला है। ये वही अवशेष हैं जिन्हें उसने सालों पहले दफनाया था।
अखबार ने व्यक्ति के हवाले से लिखा है, ‘मैं पुलिस से अनुरोध करता हूं कि मेरे द्वारा दफनाए गए शवों के अवशेष खोदकर निकाले जाएं। करीब 11 साल पहले, मैं अपने परिवार के साथ धर्मस्थल छोड़कर पड़ोसी राज्य में छिपकर रहने लगा। हमें हर दिन यह डर सताता रहता है कि हमें भी मार दिया जाएगा।’ इस गंभीर मामले पर फिलहाल सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार है।
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