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Government System की लापरवाही से हिला दिल, थैली में ले जाना पड़ा शव

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Government System की लापरवाही से हिला दिल, थैली में ले जाना पड़ा शव

Government System की लापरवाही ने फिर रुलाया, थैली में ले जाना पड़ा बच्ची का शव

सरकारी व्यवस्था की संवेदनहीनता एक बार फिर सामने आई है। Government System की लापरवाही का ऐसा उदाहरण देखने को मिला जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। एक गरीब पिता को अपनी मृत बच्ची का शव प्लास्टिक की थैली में डालकर 90 किलोमीटर तक बस से सफर करना पड़ा, क्योंकि अस्पताल ने एंबुलेंस देने से इनकार कर दिया।

कहां का है यह दर्दनाक मामला?

यह मामला उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले का बताया जा रहा है, जहां एक गरीब मजदूर की ढाई साल की बेटी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मौत के बाद जब शव घर ले जाने की बात आई तो अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस देने से मना कर दिया।

Government System की लापरवाही से हिला दिल, थैली में ले जाना पड़ा शव
Government System की लापरवाही से हिला दिल, थैली में ले जाना पड़ा शव

पिता ने क्या कहा?

मृत बच्ची के पिता ने बताया:

“मेरे पास निजी एंबुलेंस के लिए पैसे नहीं थे। डॉक्टरों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने बात नहीं सुनी। मजबूरी में बच्ची को एक प्लास्टिक की थैली में रखकर बस से गांव लेकर गया।”

Government System पर उठे सवाल

  • यह घटना हमारे Government System की असंवेदनशीलता को उजागर करती है।
  • आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं का ऐसा अभाव गांवों और गरीबों को दोहरी मार देता है।
  • योजना और नीतियों के बड़े-बड़े वादों के बावजूद जमीनी हकीकत बेहद डरावनी है।

ऐसे मामलों में क्या है सरकारी नियम?

  • किसी भी मृत व्यक्ति के शव को सम्मानपूर्वक घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकारी अस्पतालों की होती है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मुफ्त शव वाहन सेवा दी जाती है।
  • लेकिन अक्सर इसका पालन कागजों तक ही सीमित रह जाता है।
Government System की लापरवाही से हिला दिल, थैली में ले जाना पड़ा शव
Government System की लापरवाही से हिला दिल, थैली में ले जाना पड़ा शव

सरकारी मशीनरी की नाकामी

  • स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते दिखे
  • न तो अस्पताल प्रशासन ने कोई लिखित जवाब दिया, न ही स्थानीय प्रशासन ने कोई कदम उठाया

जनता का गुस्सा और सवाल

इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में नाराजगी है। कई सामाजिक संगठनों ने Government System की असफलता पर सवाल उठाए हैं:

  • “जब एंबुलेंस जैसी बुनियादी सेवा नहीं दे सकते, तो योजनाएं किसके लिए हैं?”
  • “गरीबों की ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं?”

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