तेलंगाना के हैदराबाद से रातोंरात मध्यप्रदेश के जबलपुर लाए गए (racecourse horses) रेसकोर्स के घोड़ों की संदिग्ध मौत के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से दायर जवाबी हलफनामे (रिज्वॉइंडर) में गंभीर आरोप लगाए गए कि हाल ही में कुछ और घोड़ों की मौत हुई है, जिसे प्रशासनिक स्तर पर छिपाने का प्रयास किया जा रहा है ।
मुख्य न्यायाधीश संजय सचदेवा (Sanjay Sachdeva) और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए निर्देश दिया कि वे शपथ पत्र के माध्यम से यह स्पष्ट किया जाए कि वर्तमान में कितने घोड़े जीवित हैं, उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति क्या है, और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर 2025 को तय की है।
इससे पहले हुई सुनवाई में जबलपुर कलेक्टर और घोड़ों के केयरटेकर द्वारा हलफनामा दाखिल किया गया था, जिसमें मृत घोड़ों की संख्या, उपचाराधीन पशुओं की मेडिकल रिपोर्ट और भोजन व्यवस्था से जुड़ी जानकारी दी गई थी. रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल 19 घोड़ों की मौत हो चुकी है ।
जनहित याचिका जबलपुर की पशु प्रेमी सिमरन इस्सर द्वारा दायर की गई है. उनका कहना है कि जब वे कुछ पशु चिकित्सकों और दवाइयों के साथ घोड़ों की मदद के लिए जबलपुर के पनागर क्षेत्र स्थित रैपुरा फार्महाउस पहुंचीं, तो उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया. शिकायतें देने के बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया ।
हैदराबाद रेस क्लब में लगाई गई थी घोड़ों की रेस
याचिका में बताया गया है कि यह पूरा मामला हैदराबाद निवासी सुरेश पाल गुडू से जुड़ा है, जो गुडू हॉर्स पॉवर लीग नामक संगठन चलाता है. आरोप है कि उसने हैदराबाद रेस क्लब में सिर्फ दो घोड़ों की रेस कराई थी, लेकिन ट्रोपंग करेठस्ता नामक मोबाइल एप के जरिए इन रेसों का फिलीपींस में लाइव प्रसारण किया गया और वहां के लोगों से ऑनलाइन सट्टा लगवाया गया. जब फिलीपींस सरकार ने इस अवैध सट्टेबाजी की शिकायत की, तो यह नेटवर्क बंद कर दिया गया और इसकी जानकारी भारत सरकार को दी गई ।
हैदराबाद में यह रेसकोर्स हॉर्स पॉवर स्पोर्ट्स लिमिटेड नामक कंपनी के तहत संचालित किया जा रहा था, जो एचपीसीएल, नॉर्थ एलाई, नाइन इन नाइन और हितानेट जैसी कंपनियों के साथ मिलकर 2023 से फिलीपींस के ऑनलाइन बेटिंग एप के माध्यम से यह अवैध कारोबार चला रही थी. याचिकाकर्ता के अनुसार, यह पूरा प्रकरण मनी लांड्रिंग और अवैध सट्टेबाजी से जुड़ा हुआ है।
रेसकोर्स के 57 घोड़े जबलपुर लाए गए
फिलीपींस सरकार की रिपोर्ट के बाद जब भारत सरकार और PETA इंडिया को मामले की जानकारी मिली, तो PETA की टीम ने हैदराबाद में छापेमारी की तैयारी की. लेकिन रेड से पहले ही संबंधित लोगों ने घोड़ों को देशभर में फैला दिया. इन्हीं में से 57 रेसकोर्स के घोड़े जबलपुर लाए गए, जिन्हें कथित तौर पर भैंसों के तबेले में रखा गया।
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याचिकाकर्ता का दावा है कि सुरेश पाल गुडू के पास करीब 150 घोड़े थे, जिनमें से 90 से अधिक की मौत हो चुकी है. हर घोड़े की कीमत 50 लाख से एक करोड़ रुपये के बीच बताई गई है. भोजन, पानी और देखभाल की कमी के कारण इन घोड़ों की हालत बिगड़ती चली गई. साक्ष्य छिपाने के लिए कई घोड़ों को देशभर में भेज दिया गया, जबकि 57 घोड़ों को जबलपुर के रैपुरा स्थित फार्महाउस में लाया गया, जिसका संचालन सचिन तिवारी करता है।
हैदराबाद से जबलपुर लाए गए 57 घोड़ों में से अब सिर्फ 38 जीवित हैं.
सरकार की ओर से अदालत में दायर रिपोर्ट में बताया गया कि हैदराबाद से जबलपुर लाए गए 57 घोड़ों में से अब सिर्फ 38 जीवित हैं. पहले 13 और फिर दो सप्ताह के भीतर 6 और घोड़ों की मौत हो गई थी. बीते चार महीनों में 20 से अधिक घोड़े दम तोड़ चुके हैं. मृत घोड़ों में थारोब्रेड, काठियावाड़ी और मारवाड़ी नस्ल के घोड़े शामिल हैं।
जांच में यह भी सामने आया कि घोड़ों को लाने के लिए जिन ट्रकों का इस्तेमाल किया गया, वे अपर्याप्त और असुरक्षित थे. लंबी यात्रा और हैदराबाद-जबलपुर के मौसम में अंतर के कारण घोड़ों को गंभीर तनाव (स्ट्रेस) हुआ. रेसकोर्स में खुले मैदानों में रहने के आदी ये घोड़े जबलपुर पहुंचकर संकरे तबेले में बंध गए, जिससे उनकी हालत और खराब हो गई।
भोपाल से आई जांच टीम ने पाया कि फार्महाउस में साफ-सफाई का अभाव था, आश्रय और टीकाकरण की सुविधा नहीं थी. पशु क्रूरता के साक्ष्य मिलने के बाद पशुपालन विभाग ने फार्म संचालक सचिन तिवारी और हेथा नेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की. अब अदालत के आदेश के बाद राज्य सरकार को विस्तृत रिपोर्ट देनी होगी कि जीवित बचे घोड़ों की वर्तमान स्थिति क्या है, उनके पुनर्वास और चिकित्सा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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