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Hyderabad : पुराने शहर की सड़कें बारिश से क्षतिग्रस्त

Kshama Singh
Kshama Singh
Hyderabad : पुराने शहर की सड़कें बारिश से क्षतिग्रस्त

गड्ढों और बाढ़ से यात्रियों के लिए खतरा बढ़ा

हैदराबाद। लगातार हो रही बारिश के कारण पुराने शहर के कई इलाकों में सड़कों की स्थिति खराब हो गई है। मिश्रीगंज (Mishriganj), फतेह दरवाजा, तीगलकुंटा, नवाब साहब कुंता, अमननगर, फतेहशाहनगर, जीएम चौकी, गौसनगर, गोलकुंडा सड़कों पर चलने वाले वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तीगलकुंटा (Teegalkunta) निवासी मिर्ज़ा महमूद बेग ने शिकायत की, ‘बारिश के बाद छोटे-छोटे गड्ढे और भी चौड़े हो गए हैं और वाहन चालकों के लिए कमर तोड़ देने वाली सवारी बन गए हैं। बारिश के दौरान सड़कें और भी खतरनाक हो जाती हैं क्योंकि गड्ढे पानी से भर जाते हैं।’

महिलाएं कर रही ऑटो रिक्शा का इस्तेमाल

सड़क पर गिरने के डर से कई महिलाओं ने दोपहिया वाहनों पर घूमना बंद कर दिया है। एक निजी स्कूल की शिक्षिका आयशा जहाँ ने शिकायत करते हुए कहा, ‘मैं कहीं भी जाने के लिए ऑटो रिक्शा किराए पर ले रही हूँ। सड़कों की हालत इतनी खराब है कि कोई भी गाड़ी चलाने का जोखिम नहीं उठा सकता।’

बारिश

भारी बारिश होने पर आरामगढ़, फलकनुमा, बंदलागुड़ा, दबीरपुरा, चत्रिनाका, खिलवत, राजन्ना बाउली जैसी कई सड़कें जलमग्न हो जाती हैं। घंटों तक पानी जमा रहने से व्यस्त मार्गों पर सड़कों की सतह धंस गई है। उप्पुगुडा निवासी श्रीनिवास गौड़ ने बताया, ‘सड़क पर रेत और कंकड़ जमा होने के कारण दोपहिया वाहन फिसल रहे हैं। जीएचएमसी के सफाई कर्मचारी इसे साफ नहीं कर पा रहे हैं।’

बाढ़ आने से गांव–शहर पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है?

बाढ़ से गांव और शहर दोनों बुरी तरह प्रभावित होते हैं। गांवों में फसलें बर्बाद हो जाती हैं, पशुधन बह जाते हैं और कच्चे मकान ढह जाते हैं। किसानों को आर्थिक नुकसान होता है और भूखमरी की स्थिति बन जाती है।
शहरों में सड़कें जलमग्न हो जाती हैं, ट्रैफिक रुक जाता है, बिजली-पानी की आपूर्ति बाधित होती है। घरों में पानी भर जाता है, बीमारियां फैलती हैं और जन-धन की हानि होती है। शिक्षा, परिवहन और व्यापार व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित होती है।

बाढ़ के संदर्भ में संभावना अवधि क्या है?

बाढ़ के संदर्भ में संभावना अवधि (Flood Forecasting Lead Time) वह समय होता है जब बाढ़ की चेतावनी दी जाती है और बाढ़ के वास्तविक आने के बीच का अंतराल होता है। यह अवधि आमतौर पर 6 घंटे से 72 घंटे तक हो सकती है।
जितनी अधिक यह अवधि होती है, उतना अधिक समय लोगों को बचाव और तैयारी के लिए मिल जाता है।

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