हैदराबाद, 8 अगस्त 2025: देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी (CYBER CRIME) के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, और अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे टेलीग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप्स इन अपराधों का नया हथियार बन गए हैं। ठग लोग आकर्षक धन के प्रलोभन के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसाकर फिशिंग अटैक (Fishing Attack) और निवेश के झांसे में बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। ताजा मामला तेलंगाना से सामने आया है, जहां एक पत्रकार के साथ 43,000 रुपये की ऑनलाइन ठगी हुई, और इसके बावजूद साइबर पुलिस की सुस्ती ने पीड़ित को राहत दिलाने में नाकाम रही है।
क्या है पूरा मामला
इस घटना में पीड़ित पत्रकार ने बताया कि उन्हें एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए निवेश करने का ऑफर मिला, जिसमें उच्च रिटर्न का वादा किया गया था। लालच में आकर उन्होंने निवेश के लिए पैसे ट्रांसफर किए, लेकिन साइबर ठगों ने पूरा पैसा हड़प लिया और कोई रिटर्न नहीं दिया। घटना के महज एक घंटे के भीतर उन्होंने इसकी शिकायत हैदराबाद के मियापुर पुलिस थाने में दर्ज कराई और साइबर क्राइम सेल को सूचित किया। उम्मीद थी कि त्वरित कार्रवाई से उनकी राशि वापस मिल जाएगी, लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद कोई ठोस परिणाम नहीं मिला है।
फ़र्ज़ी ग्रुप और निवेश के जरिये ठग उठाते हैं पैसा
देशभर में साइबर ठगी के मामले बढ़ने के साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, फर्जी निवेश स्कीम और ग्रुप्स के जरिए ठग न केवल पैसा लूटते हैं, बल्कि पीड़ितों को मानसिक रूप से भी परेशान करते हैं। तेलंगाना जैसे तकनीकी रूप से उन्नत राज्य में भी साइबर अपराधों पर नियंत्रण न होना चिंता का विषय है। मियापुर थाने में दर्ज शिकायत के बावजूद पुलिस की ओर से अब तक कोई महत्वपूर्ण कार्रवाई नहीं हुई, जिससे पीड़ित पत्रकार सहित कई अन्य लोग हताश हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर क्या है स्थिति ?
राष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराध की स्थिति और भी गंभीर है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में साइबर ठगी से जुड़े मामले लाखों में पहुंच गए हैं, लेकिन रिकवर की गई राशि नगण्य है। हेल्पलाइन नंबर 1930 और साइबर क्राइम पोर्टल जैसे कदम उठाए गए हैं, फिर भी ग्राउंड लेवल पर कार्रवाई में देरी आम बात हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस को तकनीकी प्रशिक्षण और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र की जरूरत है, ताकि पीड़ितों को समय पर राहत मिल सके।
तेलंगाना मामले में, पीड़ित ने अपनी शिकायत में कहा,
“मैंने निवेश का ऑफर मानकर पैसे भेजे, लेकिन ठगों ने सब ले लिया। पुलिस को तुरंत सूचित किया, फिर भी प्रक्रिया इतनी धीमी है कि न्याय मिलना मुश्किल लग रहा है।”
इस घटना ने एक बार फिर साइबर अपराधों से निपटने के लिए जागरूकता और सख्त कानूनी कदम उठाने की मांग को बल दिया है। लोगों से अपील की जा रही है कि वे संदिग्ध निवेश ऑफर से बचें और तुरंत 1930 पर कॉल करें। सवाल यह है कि क्या साइबर पुलिस इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए तैयार है, या यह समस्या और विकराल होती जाएगी?
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