नई दिल्ली। दुनिया में इस समय जंगों का दौर चल रहा है। रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच जारी जंग समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। पश्चिम एशिया में इजरायल के हमले थम नहीं रहे हैं। गाजा पट्टी में मानवीय त्रासदी अपने चरम पर है। यूएन सहित तमाम ग्लोबल संस्थाएं मूकदर्शक बनी हुई हैं। इससे बड़े के साथ ही छोटे देशों को भी यह बात समझ में आ गई हैं कि आक्रमणकारियों से अपनी सुरक्षा खुद ही करनी होगी, जरूरत पड़ने पर कोई भी बचाने नहीं आएगा। इन हालातों में दुनिया में हथियारों की रेस काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। हर देश अपने रक्षा तैयारियों पर जमकर पैसा खर्च कर रहा है।
एयर डिफेंस सिस्टम पर लाखों करोड़ रुपया खर्च कर रहा है अमेरिका
मौजूदा स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अमेरिका जैसा देश एयर डिफेंस सिस्टम पर लाखों करोड़ रुपया खर्च कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सत्ता संभालने के बाद 175 बिलियन डॉलर की लागत से गोल्डन डोम डेवलप करने का ऐलान किया है। इसके अलावा छठी जेनरेशन (Sixth Generation) फाइटर जेट डेवलप करने का भी ऐलान किया है। दूसरी तरफ चीन भी कटिंग एज डिफेंस टेक्नोलॉजी विकसित करने पर अरबों रुपये खर्च कर रहा है। वहीं पहलगाम अटैक के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लांच किया था।
फाइटर जेट बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा चुका है
ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन एयरफोर्स की अहमियत को दुनिसा के सामने ला दिया। एयरफोर्स (Airforce) को और ताकतवर बनाने के लिए भारत सरकार लगातार कदम उठा रही है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) इस दिशा में लगातार काम कर रहा है। तेजस कैटेगरी में नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर जेट डेवलप करने का काम जारी है। एएमसीएम (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) प्रोजेक्ट के तहत देशी तकनीक से पांचवीं पीढ़ का फाइटर जेट बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा चुका है।
2030 में पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट तैयार करने में आत्मनिर्भर हो जाएगा
पांचवीं पीढ़ी के प्रोटोटाइप फाइटर जेट का डिजाइन डेवलप करने के लिए बकायदा 15000 करोड़ रुपये का फंड तय किया गया है। डिजाइन डेवलप होने के बाद इसका कारोबार लाखों करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। दिलचस्प बात यह है कि भारत के वैज्ञानिक छठी जेनरेशन का फ्लाइंग प्लेटफॉर्म से जुड़ तकनीक डेवलप करने में जुटे हैं। इस दिशा में बड़ी खबर आ रही हैं कि संभावना है कि 2030 के दशक में भारत पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट तैयार करने में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
टेक्नोलॉजी के दम पर छठी जेनरेशन फाइटर जेट भी डेवलप कर लेगा
उम्मीद है कि इसके अगले दशक में भारत देसी टेक्नोलॉजी के दम पर छठी जेनरेशन फाइटर जेट भी डेवलप कर लेगा। दरअसल, तेजस फाइटर जेट के मुख्य डिजाइनर डॉक्टर कोटा हरिनारायण ने छठी जेनरेशन फाइटर जेट टेक्नोलॉजी को लेकर बड़ी बात कही है। रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर हरिनारायण ने दावा किया कि भारत छठी जेनरेशन का मानवरहित लड़ाकू विमान डेवलप करने के लिए तकनीकी तौर पर तैयार है। यह फ्लाइंग विंग डिजाइन पर बेस्ड होगा। भविष्य का फाइटर जेट ऐसा होगा, जो मानवरहित होने के साथ ही पायलट के साथ भी मूव कर सकता है।
भारत में कितने लड़ाकू हवाई जहाज हैं?
इसे सुनेंभारतीय वायु सेना की स्थापना 1932 में हुई थी। वायु सेना लगभग 90 वायु स्क्वाड्रन संचालित करती है, जिनमें 31 लड़ाकू विमानों से सुसज्जित हैं।
लड़ाकू विमान कितने प्रकार के होते हैं?
हल्का लड़ाकू विमान । सभी मौसम में काम करने वाला लड़ाकू विमान (रात्रि लड़ाकू विमान सहित)टोही लड़ाकू विमान । सामरिक लड़ाकू विमान (एस्कॉर्ट लड़ाकू विमान और स्ट्राइक लड़ाकू विमान सहित)
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