19 सितंबर 2025: भारत (India) और अमेरिका (America) के बीच चल रही व्यापारिक वार्ताओं को लेकर एक बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित 50 प्रतिशत तक के दंडात्मक टैरिफ को घटाकर 10-15 प्रतिशत तक लाने की संभावना है। यह कदम भारत के निर्यातकों के लिए राहत की सांस साबित हो सकता है, खासकर कपड़ा, रसायन, समुद्री भोजन, जेम्स एंड ज्वेलरी और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने इसकी उम्मीद जताई है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में नई जान फूंकने की उम्मीद है।
ट्रंप के टैरिफ का संदर्भ और संभावित कमी
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर 25 प्रतिशत पेनल्टी टैरिफ और रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की बात कही थी, जो 50 प्रतिशत तक पहुंच सकता था। इसका मुख्य कारण यूक्रेन युद्ध को रोकना बताया गया है। ट्रंप ने कहा कि वैश्विक तेल कीमतों को गिराकर रूस को समझौते के लिए मजबूर किया जा सकता है, और इसी संदर्भ में भारत जैसे देशों पर टैरिफ का इस्तेमाल एक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, नागेश्वरन के अनुसार, इन टैरिफ को 10-15 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। इससे अमेरिका में भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ेगी और भारत का निर्यात मजबूत होगा। वर्तमान में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जहां से कुल निर्यात का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा आता है।
हालिया वार्ताओं का अपडेट
मंगलवार को नई दिल्ली में अमेरिकी और भारतीय प्रतिनिधिमंडलों के बीच करीब सात घंटे तक अनौपचारिक व्यापार वार्ता हुई, जिसमें सकारात्मक माहौल रहा। नागेश्वरन ने कहा कि शुल्क संबंधी मुद्दों का समाधान अगले 8-10 सप्ताह में हो सकता है। इससे ट्रेड डील के जल्द फाइनल होने की उम्मीद है, जो भारत के लिए एक बड़ी डिप्लोमेटिक और आर्थिक जीत साबित होगी। भारत और अमेरिका के बीच वित्त वर्ष 2024-25 में कुल व्यापार 127.33 अरब डॉलर का रहा, जिसमें भारत को 86.51 अरब डॉलर का निर्यात और 40.82 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष मिला। लेकिन अगस्त 2025 में निर्यात घटकर 6.87 अरब डॉलर रह गया, जो 10 महीनों का सबसे निचला स्तर है। उच्च टैरिफ इसी गिरावट का एक कारण हैं।
भारत के लिए क्या मतलब?
टैरिफ में कमी से सबसे ज्यादा फायदा उन क्षेत्रों को होगा जहां अमेरिका को निर्यात का 55 प्रतिशत हिस्सा जाता है। कपड़ा उद्योग, जो पहले से ही वैश्विक चुनौतियों से जूझ रहा है, को नई जान मिलेगी। रसायन और मशीनरी निर्यातकों को भी सस्ते में अमेरिकी बाजार तक पहुंच मिलेगी। कुल मिलाकर, यह कदम भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और निर्यात बढ़ाने की रणनीति को मजबूती देगा। नागेश्वरन ने जोर देकर कहा कि टैरिफ हटने या कम होने से अमेरिका में भारतीय सामानों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी, जिससे द्विपक्षीय व्यापार में संतुलन आएगा।
ट्रंप ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने करीबी संबंधों का जिक्र किया। उन्होंने मोदी को जन्मदिन की बधाई दी और कहा कि वह भारत के साथ मजबूत साझेदारी चाहते हैं। यह बयान ट्रेड डील की दिशा में सकारात्मक संकेत देता है।
भविष्य की उम्मीदें
नागेश्वरन की 8-10 सप्ताह की समयसीमा से लगता है कि नवंबर-दिसंबर 2025 तक भारत को ट्रेड डील पर खुशखबरी मिल सकती है। यदि ऐसा होता है, तो यह न केवल आर्थिक मोर्चे पर बल्कि वैश्विक कूटनीति में भी भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन युद्ध और वैश्विक तेल बाजार की अनिश्चितताओं के बीच यह डील संवेदनशील रहेगी।
भारत सरकार ने भी इस दिशा में सक्रियता दिखाई है। वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि वार्ताएं गहन हैं और दोनों पक्षों के हितों का ध्यान रखा जा रहा है। कुल मिलाकर, यह ट्रेड डील भारत के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो सकती है, जो आर्थिक विकास को गति देगी।
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