अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर से आर्थिक निर्भरता खत्म की
काबुल: अफगानिस्तान ने व्यापार के लिए पाकिस्तान पर अपनी(India) निर्भरता काफी कम कर दी है। पाकिस्तान लंबे समय से अपनी ब्लैकमेलिंग नीति(Blackmailing Policy) के तहत बार-बार तोर्खम और चमन जैसे महत्वपूर्ण सीमा क्रॉसिंग को बंद कर रहा था। 2024 के अंत से 2025 में ज्यादातर समय ये सीमाएँ बंद रहीं, जिससे अफगानिस्तान के कारोबारियों को भारी नुकसान हुआ। सूखे मेवों (Dry Fruits) के कारोबारियों को हर महीने लगभग 200 मिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा था और खराब होने वाली वस्तुओं का भारी नुकसान हो रहा था। इस दबाव की नीति के कारण दोनों देशों के बीच का व्यापार 2.5 बिलियन से 3 बिलियन डॉलर से गिरकर 1 बिलियन डॉलर से नीचे जा चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की दबाव बनाने की नीति अब नाकाम हो चुकी है, और उसने अफगानिस्तान पर अपनी आर्थिक पकड़ को काफी कमजोर कर लिया है।
भारत द्वारा विकसित चाबहार पोर्ट बना नया रास्ता
पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म करने के लिए तालिबान अब ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह का उपयोग कर रहा है, जिसे भारत(India) ने विकसित किया है। यह पोर्ट अफगानिस्तान को पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए सीधे भारतीय बाजारों तक पहुँच प्रदान करता है। 2022 के बाद से, इस बंदरगाह के माध्यम से 1.5 मिलियन टन भारतीय गेहूं और दालें अफगानिस्तान भेजी गई हैं। अब अफगान अनार और किशमिश जैसे उत्पाद भी भारतीय शहरों तक कुछ ही दिनों में पहुँचने लगे हैं।
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मल्टीपोलर ट्रेड नेटवर्क पर फोकस
तालिबान अब एक अधिक मजबूत, मल्टीपोलर ट्रेड नेटवर्क बनाने को प्राथमिकता दे रहा है, ताकि पाकिस्तान का प्रभाव खत्म हो सके। अफगानिस्तान उज़्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और कज़ाकिस्तान जैसे उत्तरी देशों के साथ जमीनी संपर्क बढ़ा रहा है। हैरातन रेल टर्मिनल के रास्ते उज़्बेकिस्तान के साथ व्यापार 1.1 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है, जिसका लक्ष्य 2025 में 2 बिलियन डॉलर रखा गया है। नवंबर 2025 में, अफगान अधिकारियों ने भारतीय(India) यात्रा के दौरान वीजा में आसानी, हवाई कारोबार शुल्क को कम करने और नई कार्गो उड़ानों पर समझौते को आगे बढ़ाया।
पाकिस्तान द्वारा सीमा बंद करने से अफगानिस्तान के कारोबारियों को किस प्रकार का नुकसान हो रहा था?
पाकिस्तान द्वारा बार-बार मुख्य बॉर्डर क्रॉसिंग को कई हफ्तों तक बंद रखने से अफगानिस्तान के कारोबारियों को भारी नुकसान हो रहा था। विशेष रूप से, सब्जियों और दूसरी खराब होने वाली वस्तुओं का भारी नुकसान हो रहा था, और सूखे मेवों के कारोबारियों को हर महीने लगभग 200 मिलियन डॉलर का अनुमानित नुकसान हो रहा था। इसके अलावा, तेल, गेहूं और दवाइयाँ मंगाने में भी काफी देरी होती थी।
अफगानिस्तान अब पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए भारतीय बाज़ारों तक पहुँचने के लिए किस मार्ग का उपयोग कर रहा है, और इसे किसने विकसित किया है?
अफगानिस्तान अब पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए सीधे भारतीय बाज़ारों तक पहुँचने के लिए ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह का उपयोग कर रहा है। इस महत्वपूर्ण बंदरगाह को भारत ने विकसित किया है और यह 2018 से संचालित है।
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