एटम बम प्रोग्राम जारी रखेगा ईरान
ईरान से जो बड़ी खबर सामने आई है जिसने अमेरिका (America) की एक बार फिर से फजीहत कर दी है। बड़े जोश में अपने सबसे घातक बी2 बॉम्बर्स के जरिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बर्बाद करने का दंभ भड़ने वाले ट्रंप के होश भी अब उड़े हुए हैं। दरअसल, कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि ईरान के न्यूक्लियर साईट्स अब भी बरकरार हैं। उन्होंने कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। जिसको लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) भड़क गए हैं और कह रहे हैं कि ये फेक न्यूज फैलाने का काम कर रहे हैं। अमेरिका में एटम बम बनाने के मैनहट्टन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर रॉबर्ट ओपनहाइमर थे। वे संस्कृत और भारतीय दर्शन में रुचि रखते थे और बार-बार भगवद् गीता के श्लोकों का प्रयोग किया करते थे। वैसे आपको बता दें कि ईरान का साफ कहना है कि वो अपना परमाणु प्रोग्राम जारी रखेगा। ईरान की तरफ से इसे जारी रखने के लिए कदम भी उठाए गए हैं।
ट्रंप के उड़े होश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर ईरान फिर से न्यूक्लियर प्रोग्राम शुरू करने की कोशिश करता है, तो उसके ऊपर फिर से एयरस्ट्राइक होगा। मीडिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सवाल किया कि अगर ईरान यूरेनियम को समृद्ध करता है, तो क्या अमेरिका फिर से तेहरान पर हमला करेगा। इसपर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि बिल्कुल, अभी वे किसी भी चीज को समृद्ध नहीं करना चाहते हैं। वे ठीक होना चाहते हैं। उनके पास बम नहीं होगा और वे समृद्ध नहीं होने जा रहे हैं। मुझे लगता है कि ईरान के साथ हमारे संबंध कुछ हद तक ठीक हो जाएंगे। द्वितीय विश्व युद्ध और 22 जून को ईरान के खिलाफ अमेरिकी हमलों के बीच तुलना करते हुए ट्रंप ने कहा कि उस अंत ने युद्ध को समाप्त कर दिया। मैं हिरोशिमा का उदाहरण नहीं देना चाहता। मैं नागासाकी का उदाहरण नहीं देना चाहता। लेकिन यह अनिवार्य रूप से एक ही बात थी। इससे वह युद्ध समाप्त हो गया।
परमाणु बम का पहला टेस्ट कहां हुआ?
दुनिया में पहली बार परमाणु बम का परीक्षण 16 जुलाई 1945 को न्यू मैक्सिको के अलामोगोर्डो के पास रेगिस्तान में किया गया था. इस परीक्षण का कोडनेम ट्रिनिटी था. बताते हैं, इस विस्फोट ने लगभग 20 हजार टन टीएनटी के बराबर ऊर्जा निकली थी. इसकी चमक इतनी तेज थी कि यह रेगिस्तान में दिन जैसा उजाला हो गया था. इसमें ताकत और विनाश दोनों की तस्वीर छिपी थी.
एटम बम के जनक और भगवद् गीता
अमेरिका में एटम बम बनाने के मैनहट्टन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर रॉबर्ट ओपनहाइमर थे. वे संस्कृत और भारतीय दर्शन में रुचि रखते थे और बार-बार भगवद् गीता के श्लोकों का प्रयोग किया करते थे. ट्रिनिटी टेस्ट की कामयाबी के बाद जब उन्होंने परमाणु बम की विनाशकारी ताकत को देखा तो उनके मुंह से निकला था- Now, I am become Death, the destroyer of worlds. ( अब मैं मृत्यु (काल) बन गया हूं, विश्व का विनाशक.) ये शब्द भगवद गीता के 11वें अध्याय के 32वें श्लोक से लिए गए हैं जिसे आमतौर पर 11.32 के रूप में दर्शाया जाता है.
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