वाशिंगटन। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) के गाजा पर पूर्ण कब्जे के ऐलान के बाद इजरायली फौज गाजा में आखिरी जंग के लिए उतर चुकी है। इजरायल के बाद अमेरिका ने भी गाजावासियों पर सख्ती दिखाई है। अमेरिका को डर है कि कहीं 9/11 जैसा हमला न हो जाए। यही वजह है कि गाजावासियों पर अमेरिका सख्ती करते हुए उनके विजिटर वीजा (Visiter Viza) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी और इन्फ्लुएंसर लौरा लूमर की शिकायत के बाद उठाया गया है।
लूमर ने अमेरिका में दूसरे 9/11 जैसे हमले की आशंका जताई है
लूमर ने अमेरिका में दूसरे 9/11 जैसे हमले की आशंका जताई है। लूमर ने सोशल मीडिया पर नाराज़गी जताई थी कि घायल फिलिस्तीनी नागरिकों को इलाज के लिए अमेरिका लाया गया है। उन्होंने दावा किया कि यह अमेरिका की सुरक्षा के लिए “खतरा” है और चेतावनी दी कि इससे दूसरे 9/11 जैसे हमले का खतरा बढ़ सकता है। लूमर की बातों को रिपब्लिकन नेताओं का समर्थन भी मिला है। सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के चेयरमैन टॉम कॉटन के दफ़्तर ने इस मुद्दे पर जांच शुरू की।
30 वर्षों में हज़ारों फ़िलिस्तीनी बच्चों को इलाज के लिए अमेरिका लाया गया है
रिपब्लिकन सांसद रैंडी फाइन ने तो सीधे लूमर को श्रेय देते हुए कहा- लौरा ने सही मुद्दा उठाया और हमें सचेत किया, इसके लिए उन्हें बधाई। इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए अमेरिकी संस्था फिलिस्ती चिल्ड्रन रिलीफ फंड ने कहा, ट्रंप प्रशासन को इस खतरनाक और अमानवीय निर्णय को तुरंत पलटना चाहिए। गाज़ा में तबाह स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच मेडिकल इवैक्युएशन बच्चों की ज़िंदगी बचाने का एकमात्र सहारा हैं। संस्था ने याद दिलाया कि पिछले 30 वर्षों में हज़ारों फ़िलिस्तीनी बच्चों को इलाज के लिए अमेरिका लाया गया है।
लूमर ने आरोप लगाया कि फ़िलिस्तीनी हमास समर्थक और मुस्लिम ब्रदरहुड (Muslim brotherhood) से जुड़े हैं और इनकी मदद क़तर कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि इन लोगों को क़तर एयरवेज़ से अमेरिका लाया गया और क़तर हमारे देश में जिहादियों को भेज रहा है। उनका सीधा निशाना अमेरिकी चैरिटी संस्था हील फिलिस्तीन थी, जिसने हाल ही में 11 गंभीर रूप से घायल गाज़ा के बच्चों और उनके परिजनों को अमेरिका लाकर इलाज की सुविधा दिलाई थी। संस्था ने इसे अब तक का सबसे बड़ा मेडिकल इवैक्युएशन बताया था।
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