अमेरिकी अपील कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा लगाए गए अधिकांश टैरिफ (Tariff) को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। यह फैसला ट्रंप की व्यापार नीतियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो वैश्विक व्यापार में उनकी रणनीति का मुख्य आधार रहा है। कोर्ट ने अपने 7-4 के फैसले में कहा कि टैरिफ लगाने का अधिकार विशेष रूप से कांग्रेस को है, और ट्रंप ने 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का दुरुपयोग करते हुए अपनी शक्तियों का अतिक्रमण किया। यह कानून राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल में कार्रवाई की अनुमति देता है, लेकिन इसमें टैरिफ लगाने की स्पष्ट शक्ति शामिल नहीं है।
हालांकि, कोर्ट ने टैरिफ को तत्काल प्रभाव से हटाने के बजाय 14 अक्टूबर, 2025 तक लागू रहने की अनुमति दी है, ताकि ट्रंप प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके। ट्रंप ने इस फैसले को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह अमेरिका को “तबाह” कर देगा। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “यह गलत फैसला है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की मदद से हम जीतेंगे।” ट्रंप ने दावा किया कि टैरिफ ने अमेरिका को मजबूत और समृद्ध बनाने में मदद की है, और यह वैश्विक व्यापार में अमेरिकी हितों को संतुलित करने के लिए जरूरी है।

यह मुकदमा कई अमेरिकी राज्यों और छोटे व्यवसायों द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने तर्क दिया कि टैरिफ ने उनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया। कोर्ट के फैसले ने यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे व्यापारिक भागीदारों के साथ ट्रंप की व्यापारिक डील पर भी सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अनिश्चितता वैश्विक व्यापार और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।
ट्रंप प्रशासन ने तर्क दिया कि टैरिफ राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने कहा, “राष्ट्रपति ने कांग्रेस द्वारा दी गई शक्तियों का कानूनी रूप से उपयोग किया।” दूसरी ओर, अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि टैरिफ से कीमतें बढ़ सकती हैं और आर्थिक विकास धीमा हो सकता है। अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जहां यह मामला निर्णायक मोड़ ले सकता है।
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