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International: “क़तर में हमने वही किया जो अमेरिका ने 9/11 के बाद किया”-नेतन्याहू

Vinay
Vinay
International: “क़तर में हमने वही किया जो अमेरिका ने 9/11 के बाद किया”-नेतन्याहू

11 सितंबर 2025: इजरायल (Israel) के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने हाल ही में दोहा, क़तर में किए गए हवाई हमले का बचाव करते हुए एक बयान दिया है जो काफी विवादित हो गया है। नेतन्याहू ने कहा कि इस हमले का उद्देश्य वही था जैसा अमेरिका ने 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद किया था — आतंकवादियों पर कार्रवाई और उन देशों को चेतावनी देना जो आतंकवाद को आतिथ्य देते हैं

क्या हुआ था:

  • हमला दोहा में: 9 सितंबर 2025 को इज़राइल ने क़तर की राजधानी दोहा में एक हवाई हमला किया जिसमें हमले का लक्ष्य कथित तौर पर हमास (Hamas) की राजनीतिक नेतृत्व टीम थी, जो उस समय एक अमेरिकी प्रस्तावित सराय-युद्ध (ceasefire) योजना पर बातचीत कर रही थी।
  • हमले में कुछ वरिष्ठ हमास सदस्यों के अलावा उनके सहायक और सुरक्षा बलों के लोग मारे गए या घायल हुए। कतार सरकार ने इसे क़ानूनी नियमों का उल्लंघन और क़तर की सार्वभौमिकता की अवहेलना करार दिया।

9/11 से तुलना

नेतन्याहू ने कहा कि जैसे 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका ने आतंकवादियों को खोजा और उन देशों को जवाबदेह ठहराया जो उन्हें बचाते या सहारा देते थे, उसी तरह इज़राइल का यह कदम भी आतंकवाद की लड़ाई में एक समान प्रतिक्रिया है।
उन्होंने कतार सहित उन सभी देशों को चेतावनी दी कि यदि वे आतंकवादियों को पनाह देते हैं, तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा या उन्हें न्याय के तहखाने में खड़ा होना होगा।

क़तर ने क्या कहा ?

  • कतर की प्रतिक्रिया: क़तर ने हमले की कड़ी निंदा की है और इसे ‘स्टेट टेररिज्म’ करार दिया है। उसने कहा है कि इस तरह की कार्रवाई वार्ताओं और मध्यस्थता की भूमिका को चोट पहुँचाती है।
  • वैश्विक प्रतिक्रिया: बहुत सारे देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस हवाई हमले और नेतन्याहू की तुलना को निंदनीय बताया है। कहा जा रहा है कि इस तरह का कदम क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाएगा, बातचीत और होस्टेज रिहाई की संभावनाओं को प्रभावित करेगा।

नेतन्याहू की इस तुलना ने एक बड़े वाद-विवाद को जन्म दिया है: जहाँ एक ओर वे आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राज्यों की सार्वभौमिकता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होने का आरोप लग रहा है। यह मामला सिर्फ इज़राइल-कतर तक सीमित नहीं है; यह मध्य पूर्व की राजनीति, आतंकवाद-रोधी रणनीतियों, और विश्व समुदाय की भूमिका के बारे में बड़े सवाल खड़े करता है।

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