नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी समारोह में संघ की 100 वर्षों की यात्रा को त्याग, निस्वार्थ सेवा, राष्ट्र निर्माण और अनुशासन की अद्भुत मिसाल बताते हुए गौरव व्यक्त किया।
डॉ. हेडगेवार का व्यक्ति निर्माण का दृष्टिकोण
पीएम मोदी (Pm Modi) ने कहा कि डॉ. हेडगेवार जानते थे कि राष्ट्र तभी सशक्त होगा जब हर व्यक्ति में राष्ट्रभक्ति का बोध जागृत हो। उनका तरीका था “जैसा है, वैसा लेना है; जैसा चाहिए, वैसा बनाना है।” उन्होंने कुम्हार के उदाहरण से समझाया कि कैसे साधारण व्यक्ति को सिखाकर राष्ट्र के लिए समर्पित स्वयंसेवक बनाया जाता है।
शाखा: प्रेरणा और व्यक्ति निर्माण की भूमि
पीएम मोदी ने बताया कि संघ शाखा स्वयंसेवक के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास की प्रेरणा भूमि है। शाखाओं में व्यक्ति को राष्ट्र सेवा का भाव, साहस और सामूहिक कार्य का संस्कार मिलता है। यह त्याग और समर्पण को सहज बनाता है और राष्ट्र निर्माण का मार्ग स्पष्ट करता है।
संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले का संदेश
कार्यक्रम में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संघ के 100 साल की यात्रा रोचक और प्रेरक रही है। देश के हर हिस्से में स्वयंसेवक समाज की सेवा में जुटे हैं। उनका निस्वार्थ भाव “राष्ट्र के लिए सबकुछ, मेरा कुछ नहीं” संघ के कार्यकर्ताओं की विशेषता है।
संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम की रूपरेखा
आरएसएस दशहरा से अपना शताब्दी वर्ष कार्यक्रम शुरू करेगा। 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक देशभर में सात बड़े कार्यक्रम होंगे। संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं।
पीएम मोदी का संघ के साथ जुड़ाव
प्रधानमंत्री मोदी ने संघ में रहते हुए संगठनात्मक अनुभव प्राप्त किया। बीजेपी अपनी वैचारिक प्रेरणा संघ से लेती है, और मोदी ने स्वयं संघ के प्रचारक के रूप में अपनी पहचान बनाई।
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