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UP : फर्जी आधार से विदेशी नागरिकों को बसाने वाले 8 आरोपी गिरफ्तार

Anuj Kumar
Anuj Kumar
UP : फर्जी आधार से विदेशी नागरिकों को बसाने वाले 8 आरोपी गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने एक बड़े अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह रोहिंग्या, बांग्लादेशी, नेपाली और अन्य विदेशी नागरिकों के लिए नकली आधार कार्ड (Aadhar Card) और भारतीय पहचान पत्र बनाता था। इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से फर्जी दस्तावेज बनाने वाले उपकरण, मोबाइल, लैपटॉप और भारी मात्रा में नकली आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र आदि भी जब्त किए गए हैं।

गिरफ्तार आरोपी और उनका नेटवर्क

एटीएस ने आजमगढ़ (Azamgarh) से मोहम्मद नसीम, मोहम्मद शाकिब और विशाल कुमार, मऊ से हिमांशु राय और मृत्युंजय गुप्ता, गाजियाबाद से सलमान अंसारी, औरैया से गौरव कुमार गौतम और गोरखपुर से राजीव तिवारी को गिरफ्तार किया है। ये गिरोह उत्तर प्रदेश के कई जिलों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, बिहार और दिल्ली-एनसीआर में भी सक्रिय था।

गिरोह का तरीका

  • जन सेवा केंद्रों का दुरुपयोग कर अवैध विदेशी नागरिकों के लिए आधार कार्ड बनवाए जाते थे।
  • VPN और रिमोट एक्सेस सिस्टम से आधार डेटाबेस में छेड़छाड़ की जाती थी।
  • फर्जी आधार से पासपोर्ट, आवासीय प्रमाण पत्र और अन्य भारतीय दस्तावेज तैयार किए जाते थे।

सरकारी योजनाओं का फायदा भी उठाया

जांच में सामने आया कि ये विदेशी नागरिक:

  • नकली दस्तावेजों के सहारे सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे थे।
  • गिरोह इस काम के लिए भारी रकम वसूलता था।
  • इसमें दलालों का पूरा नेटवर्क शामिल था, जो अवैध नागरिकों को जन सेवा केंद्र संचालकों तक पहुंचाते थे।

ATS की बरामदगी

छापेमारी के दौरान ATS ने जब्त किए –

  • बड़ी मात्रा में नकली आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र
  • फिंगरप्रिंट स्कैनर
  • लैपटॉप और मोबाइल फोन

गिरोह की कार्यप्रणाली

पुलिस के अनुसार, यह गिरोह जन सेवा केंद्रों का गलत इस्तेमाल कर रहा था। ये केंद्र अवैध विदेशी नागरिकों के लिए फर्जी आधार कार्ड बनाते थे। गिरोह ने वीपीएन और रिमोट एक्सेस सिस्टम की मदद से आधार डेटाबेस में छेड़छाड़ की, ताकि सुरक्षा जांच को धोखा दिया जा सके। नकली आधार कार्ड से पासपोर्ट, आवासीय प्रमाण पत्र और अन्य भारतीय दस्तावेज बनाए जा रहे थे।

सरकारी योजनाओं का गलत फायदा

जांच में पता चला है कि अवैध विदेशी नागरिक इन नकली दस्तावेजों से सरकारी योजनाओं का भी फायदा उठा रहे थे। गिरोह इस काम के लिए मोटा पैसा वसूलता था। इसके पीछे दलालों का भी हाथ था, जो अवैध लोगों को जन सेवा केंद्र संचालकों से जोड़ते थे।

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