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Bihar: बिहार और नेपाल का रोटी और बेटी का संबंध है

Kshama Singh
Kshama Singh
Bihar: बिहार और नेपाल का रोटी और बेटी का संबंध है

बिहार की वोटर लिस्ट में बांग्लादेशी, नेपाली, म्यांमारियों के नाम

बिहार की मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों के नाम शामिल होने के खुलासे ने राज्य में एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। बताया जा रहा है कि मतदाता सूची में बांग्लादेश (Bangladesh) , नेपाल और म्यांमार मूल के लोगों के नाम पाए गए हैं, जिसने चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा दिया है। इस चौंकाने वाली जानकारी के बाद भारतीय जनता पार्टी ने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा है, खासकर उन पर जो मतदाता सूची पुनरीक्षण का विरोध कर रहे थे। अब इस गंभीर आरोप पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी अपनी राय व्यक्त की है, जिससे यह मुद्दा और गरमा गया है

विदेशी नामों के खुलासे पर तेजस्वी ने क्या कहा?

इस मुद्दे पर पूछे जाने पर, राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘ये सूत्र कौन हैं? ये वही सूत्र हैं जिन्होंने कहा था कि इस्लामाबाद, कराची और लाहौर पर कब्जा कर लिया गया है। ये सूत्र को हम मूत्र समझते हैं। SIR आखिरी बार 2003 में UPA सरकार में किया गया था। तब कई चुनाव हुए हैं, उन चुनावों में हम 3-4 लाख वोटों से हारे हैं। क्या इसका मतलब है कि इन सभी विदेशियों ने पीएम मोदी (PM Modi) को वोट दिया? इसका मतलब है कि मतदाता सूची में किसी भी संदिग्ध तत्व के नाम जुड़ने के लिए NDA दोषी है।

बिहार

बिहार और नेपाल का रोटी और बेटी का संबंध है

इसका मतलब है कि उन्होंने जो भी चुनाव जीते हैं, वे सभी धोखाधड़ी वाले रहे हैं। जहां तक नेपाल की बात है तो बिहार और नेपाल का रोटी और बेटी का संबंध है। बिहार पुलिस में नेपाली लोग हैं। आर्मी में नेपाली लोग हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जबसे मामले को संज्ञान में लिया है और जब से चुनाव आयोग को सलाह दी है। तब से उनके हाथ पांव फूले हुए हैं। अगर फर्जी वोटर हैं भी तो जिम्मेदारी किसकी है? चुनाव आयोग है और NDA सरकार की है। चुनाव आयोग राजनीतिक दल का प्रकोष्ठ बनकर काम कर रहा है।’

विदेशी घुसपैठ पर क्या बोले प्रशांत किशोर?

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इसपर कहा, ‘चुनाव आयोग ने पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की है। यदि वे बता रहे हैं कि यहां नेपाली और बांग्लादेशी हैं तो यह बड़ी चिंता की बात है। क्या चुनाव आयोग यह स्वीकार कर रहा है कि जिस निर्वाचक नामावली से लोकसभा का चुनाव हुआ, उसमें बड़ी संख्या में बांग्लादेशी या गैर कानूनी लोग शामिल थे? दूसरी बड़ी बात है कि यदि यह लोग बिहार में आकर रह रहे हैं तो बिहार में तो भाजपा-नीतीश की सरकार है, यह लोग कैसे रह रहे हैं? पुलिस प्रशासन क्या कर रहा है? नीतीश सरकार को जवाब देना चाहिए कि उनकी सरकार के रहते ऐसे लोगों को बिहार में आकर रहने, यहां की सुविधाओं का लाभ लेने, वोट देने का अधिकार कैसे मिल गया?’

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