नई दिल्ली। केंद्रीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने कोहरे या धुंध में टेक ऑफ व लैंडिंग के दौरान हादसों से बचने के लिए नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत जांच के पांच चरण तय किए हैं, जिन्हें विमानन कंपनी, पायलट व एयरपोर्ट को मानना होगा।
कोहरे में उड़ान के लिए नई तीन कैटेगरी
कोहरे व धुंध में उड़ान को तीन श्रेणियों में बांटा गया है—
- कैटेगरी-1: दृश्यता 550 मीटर तक
- कैटेगरी-2: दृश्यता 300 मीटर
- कैटेगरी-3: दृश्यता 100 मीटर या उससे भी कम
जितनी कम विजिबिलिटी, उतने सख्त नियम लागू होंगे।
उड़ान से पहले 5-स्तरीय तकनीकी जांच अनिवार्य
पांच चरणों की जांच प्रक्रिया में ऑटो-पायलट, लैंडिंग सिस्टम (Landing System) और सेंसर की कार्यक्षमता की पुष्टि अनिवार्य होगी। जब तक यह सभी सिस्टम सही नहीं मिलते, उड़ान की अनुमति नहीं दी जाएगी। पहले केवल पूरे बेड़े को एक बार अप्रूवल मिलता था, अब हर विमान और हर पायलट को अलग-अलग अप्रूवल मिलेगा।
घने कोहरे में उड़ान को लेकर सख्ती क्यों?
हर साल घने कोहरे की वजह से देश में सैकड़ों उड़ानें प्रभावित होती हैं। इसलिए नई व्यवस्था का उद्देश्य है कि उड़ान की अनुमति केवल उन्हीं ऑपरेटरों को मिले, जो तकनीकी रूप से पूरी तरह तैयार हों।
पायलटों के लिए विशेष प्रशिक्षण अनिवार्य
कैटेगरी-2 और कैटेगरी-3 उड़ानों के लिए पायलटों (Pilot) को अतिरिक्त प्रशिक्षण लेना होगा, जिसमें शामिल है:
- कम दृश्यता में सिम्युलेटर लैंडिंग
- आपात स्थिति में गो-अराउंड
- ऑटो-लैंडिंग सिस्टम का अभ्यास
सिस्टम टेस्ट और कैटेगरी मैनुअल अनिवार्य
आईएलएस, रेडियो ऑल्टीमीटर और ऑटो-पायलट सिस्टम का हर छह महीने में परीक्षण जरूरी होगा।
किसी विमान ने यदि 30 दिन तक कम दृश्यता वाली उड़ानें नहीं कीं, तो दोबारा उड़ान से पहले ग्राउंड टेस्ट या टेस्ट फ्लाइट करनी होगी। एयरलाइंस को अब हर विमान के लिए अलग कैटेगरी मैनुअल तैयार करना होगा।
भारत का वर्तमान डीजीसीए कौन है?
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी फैज़ अहमद किदवई नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के नए महानिदेशक (डीजी) हैं। वर्तमान में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव, श्री किदवई 1996 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं।
डीजीसीए की स्थापना कब हुई थी?
डीजीसीए का पूरा नाम नागरिक उड्डयन महानिदेशालय है। डीजीसीए भारत का एक महत्वपूर्ण सरकारी विभाग है जो नागरिक उड्डयन उद्योग का प्रबंधन करता है। इसकी स्थापना 1946 में हुई थी और यह सभी घरेलू नागरिक विमानों के संचालन की सुरक्षा और संरक्षा को विनियमित करने के लिए ज़िम्मेदार है।
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