FDI को लेकर सरकार ने बढ़ाई मंजूरी की रफ्तार सरकार की नई नीति से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मिल रही तेजी
भारत सरकार ने हाल ही में FDI यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़ी मंजूरी प्रक्रिया को तेज करने का फैसला लिया है। यह बदलाव चीन समेत अन्य पड़ोसी देशों से आने वाले निवेश प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिए भारत में निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और आर्थिक विकास को नई दिशा मिलेगी।
क्यों बढ़ाई गई FDI मंजूरी की रफ्तार?
सरकार का उद्देश्य है कि विदेशी निवेश को आकर्षित करते हुए सुरक्षा मानकों को भी बनाए रखा जाए।
पहले जहां पड़ोसी देशों से आने वाले FDI प्रस्तावों में काफी देरी होती थी, अब उनकी समीक्षा और मंजूरी की प्रक्रिया को सरल और तेज कर दिया गया है।

मुख्य बिंदु:
- 2020 के बाद से 124 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
- लगभग 200 प्रस्ताव अभी भी प्रक्रिया में हैं।
- अंतर-मंत्रालयी समिति बनाई गई जो सुरक्षा और राजनीतिक स्वीकृति का मूल्यांकन करती है।
- मंजूरी का समय घटाकर निवेशकों को राहत दी जा रही है।
किन क्षेत्रों में बढ़ रहा है FDI
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि तकनीकी, मैन्युफैक्चरिंग, ई-कॉमर्स और सॉफ्टवेयर जैसे क्षेत्रों में आने वाले FDI प्रस्तावों को प्राथमिकता दी जा रही है।
इन क्षेत्रों में तेजी से हो रहा निवेश:
- कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माण
- ई-कॉमर्स और ऑनलाइन सेवाएं
- ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स

चीन और अन्य पड़ोसी देशों से जुड़े प्रस्ताव
भारत ने चीन से आने वाले FDI प्रस्तावों पर विशेष सतर्कता रखी है।
हालांकि, अब इन्हें तेजी से प्रोसेस किया जा रहा है ताकि अवसरवादी अधिग्रहण को रोका जा सके लेकिन वैध निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी प्रक्रिया में तेजी से भारत की वैश्विक छवि मजबूत होगी और निवेशकों को एक सकारात्मक संकेत मिलेगा।
यह नीति बदलाव भारत के व्यापारिक माहौल को और बेहतर बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।