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Kartavya Bhawan-3 का उद्घाटन: देश का नया प्रशासनिक केंद्र

Vinay
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Kartavya Bhawan-3 का उद्घाटन: देश का नया प्रशासनिक केंद्र

6 अगस्त 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत निर्मित कर्तव्य भवन-3 (Kartavya Bhawan 3) का उद्घाटन किया। यह भवन केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को एक ही परिसर में लाकर प्रशासनिक कार्यकुशलता, नवाचार, और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत प्रस्तावित 10 साझा केंद्रीय सचिवालय भवनों में से पहला है, जो आधुनिक, डिजिटल, और टिकाऊ प्रशासन का प्रतीक माना जा रहा है

कर्तव्य भवन-3 में शिफ्ट होने वाले मंत्रालय और विभाग

कर्तव्य भवन-3 में निम्नलिखित प्रमुख मंत्रालयों और विभागों के कार्यालय स्थापित किए जाएंगे:

  • गृह मंत्रालय (चौथे, पांचवें और छठे मंजिल पर, जिसमें गृह मंत्री का कार्यालय और खुफिया ब्यूरो (IB) शामिल हैं)
  • विदेश मंत्रालय
  • ग्रामीण विकास मंत्रालय
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय
  • कार्मिक, लोक शिकायत और प्रशिक्षण विभाग (DoPT)
  • पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय
  • प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) का कार्यालय

इन मंत्रालयों को पहले शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन, और निर्माण भवन जैसी पुरानी और जर्जर इमारतों से संचालित किया जा रहा था, जो 1950-70 के दशक में बनी थीं। इनका रखरखाव महंगा और संरचनात्मक रूप से अपर्याप्त हो चुका था।

कर्तव्य भवन-3 की प्रमुख विशेषताएं

  • क्षेत्रफल और संरचना: यह भवन लगभग 1.5 लाख वर्ग मीटर में फैला है, जिसमें दो बेसमेंट, एक भूतल, और छह मंजिलें हैं। इसमें 24 बड़े और 26 छोटे कॉन्फ्रेंस हॉल, 67 मीटिंग रूम (प्रत्येक में 9 लोगों की क्षमता), शिशु गृह, योग कक्ष, चिकित्सा कक्ष, कैफे, और रसोईघर जैसी सुविधाएं हैं।
  • सुरक्षा: भवन में 700 सीसीटीवी कैमरे और एक केंद्रीकृत कमांड सेंटर है। प्रवेश केवल आईडी कार्ड के माध्यम से संभव है, जिससे सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • पर्यावरणीय डिज़ाइन: भवन में रूफटॉप सोलर पैनल, सोलर वॉटर हीटिंग सिस्टम, हाई-टेक HVAC (हीटिंग, वेंटिलेशन, और एयर कंडीशनिंग), और रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जैसी आधुनिक सुविधाएं हैं।
  • पार्किंग: 40,000 वर्ग मीटर के बेसमेंट में 600 कारों की पार्किंग क्षमता।
  • निर्माण: इसका निर्माण लार्सन एंड टुब्रो (L&T) द्वारा *3,141.99 करोड़ रुपये की लागत से किया गया, जिसका कार्य 2021 में शुरू हुआ था।

सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा

कर्तव्य भवन-3 सेंट्रल विस्टा परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य केंद्र सरकार के मंत्रालयों को एकीकृत करके प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना, अंतर-मंत्रालयी समन्वय को बढ़ाना, और नीति कार्यान्वयन में तेजी लाना है। इस परियोजना के तहत कुल 10 कर्तव्य भवनों का निर्माण होगा, जिनमें से:

  • कर्तव्य भवन-1 और 2 अगले महीने (सितंबर 2025) तक तैयार हो जाएंगे। भवन-1 में वित्त मंत्रालय और उसका प्रिंटिंग प्रेस शामिल होगा।
  • भवन-10 अप्रैल 2026 तक और भवन-6 और 7 अक्टूबर 2026 तक पूरे होने की उम्मीद है।
  • कुल लागत लगभग 1,000 करोड़ रुपये अनुमानित है।

पुरानी इमारतों का भविष्य

पुरानी इमारतों जैसे शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन, और निर्माण भवन को धीरे-धीरे हटाया जाएगा। इनके स्थान पर नए भवनों का निर्माण होगा, और नॉर्थ व साउथ ब्लॉक को ‘युगे-युगीन भारत संग्रहालय’ में बदला जाएगा। मंत्रालयों को अस्थायी रूप से कस्तूरबा गांधी मार्ग, मिंटो रोड, और नेताजी पैलेस जैसे स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा।

उद्घाटन समारोह

  • उद्घाटन समारोह दोपहर 12:15 बजे हुआ, जिसमें केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर और मंत्रालय के सचिव के. श्रीनिवास मौजूद थे। पीएम ने भवन का दौरा किया और इसकी विशेषताओं का अवलोकन किया।
  • शाम 6:30 बजे, पीएम मोदी ने कर्तव्य पथ पर एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया, जिसमें मंत्रालयों के अधिकारी-कर्मचारी भी शामिल थे।
  • दिल्ली पुलिस ने ट्रैफिक व्यवस्था के लिए राजेंद्र प्रसाद रोड, मौलाना आजाद रोड, जनपथ, और अन्य मार्गों पर प्रतिबंध लागू किए।

महत्व और प्रभाव

  • प्रशासनिक दक्षता: मंत्रालयों को एक छत के नीचे लाने से अंतर-मंत्रालयी समन्वय में सुधार होगा, नीति कार्यान्वयन तेज होगा, और प्रशासन अधिक उत्तरदायी बनेगा।
  • आधुनिकीकरण: यह भवन सरकार के “संगठित, डिजिटल, और टिकाऊ प्रशासन” के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  • लागत बचत: पुरानी इमारतों के रखरखाव की उच्च लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
  • सांस्कृतिक धरोहर: नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को संग्रहालय में बदलने से ऐतिहासिक इमारतें जनता के लिए सुलभ होंगी।

कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन केंद्र सरकार के प्रशासनिक ढांचे के आधुनिकीकरण और केंद्रीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल कार्यकुशलता बढ़ाएगा, बल्कि दिल्ली के केंद्रीय क्षेत्र को एक नए, आधुनिक स्वरूप में ढालेगा।

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