उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर के कपाट आज से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस मौके पर केदारनाथ धाम में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। आज भाई दूज के मौके पर सुबह करीब 8:30 बजे अगले छह महीने के लिए केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट बंद कर दिए गए। हजारों श्रद्धालुओं ने भी बाबा के दर्शन किए। इस दौरान पूरी केदारघाटी हर हर महादेव और जय बाबा केदार के जयघोष से गूंज उठी। इस मौके पर सीएम पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। वहीं, यमुनोत्री धाम के कपाट आज दोपहर 12:30 बजे शीतकाल के लिए बंद होंगे।
6 महीने ऊखीमठ में होंगे दर्शन
अब 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा शीतकालीन (Winter) गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी। कपाट बंद होने के बाद भगवान शिव की चल डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए रवाना होगी।
यात्रा के पहले दिन, यानी आज डोली रामपुर में रात्रि विश्राम करेगी। इसके बाद 24 अक्टूबर को गुप्तकाशी पहुंचेगी। तीसरे दिन 25 अक्टूबर को डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ पहुंचेगी। यहां बाबा केदार की पूजा-अर्चना और दर्शन की व्यवस्था पूरे 6 महीने तक की जाएगी।
केदारनाथ और बदरीनाथ में रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंचे
उत्तराखंड में मानसून के दौरान आपदाओं के कारण बार-बार बाधित हुई चारधाम यात्रा ने बर्फबारी और लगातार खराब मौसम के बावजूद रफ्तार पकड़े रही। केदारनाथ और बदरीनाथ मंदिर में उमड़े श्रद्धालुओं की संख्या ने नये रिकॉर्ड कायम किए। केदारनाथ में जहां इस साल दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या बुधवार को 16.56 लाख के पार चली गई, वहीं बदरीनाथ में यह आंकड़ा 14.53 लाख से अधिक हो गया।
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आंकड़ों के मुताबिक, पिछला रिकॉर्ड 2024 में बना था, जब पूरे यात्राकाल में 16.52 लाख से अधिक तीर्थयात्री दर्शन के लिए केदारनाथ मंदिर पहुंचे थे, जबकि बदरीनाथ के दर्शन के लिए 14.35 लाख श्रद्धालु गए थे।
केदारनाथ की असली कहानी क्या है?
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने बैल का रूप धारण करके पांडवों से बचने की कोशिश की थी, लेकिन अंततः केदारनाथ में पांडवों ने उन्हें घेर लिया।इसके बाद भगवान शिव धरती में समा गए और केवल उनका कूबड़ ही सतह पर रह गया। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर उसी स्थान पर बना है जहाँ भगवान शिव धरती में समा गए थे।
केदारनाथ 6 महीने तक बंद क्यों रहता है?
केदारनाथ का मंदिर हमेशा बर्फ से ढका रहता है। यहां के खराब मौसम के चलते मंदिर के कपाट 6 महीने तक के लिए बंद कर दिए जाते हैं। मंदिर बंद करने से पहले पुजारी विग्रह और दंडी को नीचे ले जाते हैं।
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