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Bihar: महुआ मोइत्रा मतदाता सूची की जांच के लिए पहुंची सुप्रीम कोर्ट

Kshama Singh
Kshama Singh
Bihar: महुआ मोइत्रा मतदाता सूची की जांच के लिए पहुंची सुप्रीम कोर्ट

छिन सकता है वोट देने का अधिकार

पश्चिम बंगाल की सांसद महुआ मोइत्रा ने बिहार में मतदाता सूची (Voter List) की खास जांच के चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यह आदेश गलत है और इससे कई लोगों के वोट देने का अधिकार छिन सकता है।

महुआ मोइत्रा की चिंताएं

महुआ मोइत्रा की याचिका में कहा गया है कि यह आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(ए), 21, 325, 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 तथा निर्वाचक पंजीकरण (आरईआर) नियम, 1960 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। उनकी मुख्य चिंताएं ये हैं:

आधार और राशन कार्ड को न मानना: इस आदेश में आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे आम पहचान पत्रों को मान्यता नहीं दी गई है। इससे मतदाताओं पर बहुत ज़्यादा बोझ पड़ रहा है और उनके लिए ज़रूरी दस्तावेज जुटाना मुश्किल हो रहा है।

गरीबों पर असर: याचिका में यह भी कहा गया है कि यह आदेश खासकर गरीब और कमजोर तबके के लोगों को ज़्यादा प्रभावित करेगा। इसकी तुलना नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीसंस (NRC) से की गई है, जिसकी पहले भी काफी आलोचना हुई है।

महुआ मोइत्रा

जल्दबाजी: आदेश में कहा गया है कि 25 जुलाई, 2025 तक अगर नए फॉर्म जमा नहीं किए गए, तो नाम ड्राफ्ट लिस्ट से हटा दिया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि इतना कम समय देना भी गलत है।

वोट देने का अधिकार छिनना: याचिका का कहना है कि इस आदेश से देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग वोट नहीं दे पाएंगे, जो असल में वोट देने के हकदार हैं। इससे हमारे लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव पर बुरा असर पड़ेगा।

अजीबोगरीब शर्त: यह पहली बार हो रहा है कि चुनाव आयोग ने उन मतदाताओं से भी अपनी पात्रता साबित करने को कहा है, जिनके नाम पहले से लिस्ट में हैं और जिन्होंने पहले भी वोट दिए हैं।

दूसरे राज्यों पर भी पड़ेगा असर?

याचिका में यह भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग को देश के दूसरे राज्यों में भी ऐसे ही आदेश जारी करने से रोका जाए। महुआ मोइत्रा को जानकारी मिली है कि अगस्त 2025 से पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह की जांच शुरू करने की तैयारी है। यह याचिका वकील नेहा राठी ने दायर की है।

क्या है चुनाव आयोग का आदेश?

चुनाव आयोग ने 24 जून, 2025 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि बिहार में वोटर लिस्ट की गहन जांच (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) होगी। इसका मतलब है कि जिन लोगों के नाम पहले से वोटर लिस्ट में हैं और जो कई बार वोट दे चुके हैं, उन्हें भी अपनी नागरिकता साबित करने के लिए नए दस्तावेज दिखाने होंगे। इन दस्तावेजों में माता-पिता की नागरिकता का सबूत भी शामिल है। अगर वे ऐसा नहीं कर पाते, तो उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है।

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