पटना। जन सुराज पार्टी के फाउंडर प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद पहली बार मीडिया के सामने आए। उन्होंने पार्टी की हार की पूरी जिम्मेदारी ली और अपने उस पुराने बयान पर सफाई दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 25 से ज्यादा सीटें जीतेंगे तो वे राजनीति छोड़ देंगे।
राजनीति छोड़ने वाले बयान पर पीके का नया स्पष्टीकरण
प्रशांत किशोर ने कहा, “मेरे पास कोई पद नहीं है, तो किस पद से इस्तीफा दूं? मैंने कभी नहीं कहा कि मैं बिहार छोड़ दूंगा। मैं सिर्फ राजनीति नहीं करूंगा—इस बात पर मैं आज भी कायम हूं।” उन्होंने कहा कि लोगों की आवाज उठाना राजनीति नहीं है और वे इसे जारी रखेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार महिलाओं को 2-2 लाख रुपये दे देती है, तो वे राजनीति से संन्यास लेने वाले अपने बयान पर तुरंत अमल करेंगे।
‘बिहार नहीं छोड़ेंगे, सुधार की जिद पूरी होने तक लड़ाई जारी’
पीके ने कहा कि कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि वे बिहार छोड़ देंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, “कोई हारता तब है, जब छोड़ देता है। जब तक बिहार को सुधारने की जिद पूरी नहीं कर लेते, तब तक बिहार नहीं छोड़ेंगे।”
चुनाव आयोग पर निशाना—‘वोट चोरी नहीं, सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग’
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में ‘वोट चोरी’ (Vote Theft) बड़ी समस्या नहीं है, बल्कि सरकारी तंत्र का गलत उपयोग असली मुद्दा है। उन्होंने कहा कि अंतिम दो घंटे में 15–20% मतदान बढ़ने का पैटर्न चिंताजनक है और चुनाव आयोग ने उसकी डिटेल जारी नहीं की उन्होंने विपक्ष से अपील की कि इस मामले को गंभीरता से लें और जरूरत पड़े तो सुप्रीम कोर्ट जाएं।
‘जरूरत पड़ी तो कोर्ट जाएंगे’
पीके ने कहा कि कुछ नेताओं के खिलाफ जो आरोप उन्होंने पहले लगाए थे, वे अब भी कायम हैं।
उन्होंने कहा कि यदि विवादित नेताओं को फिर से मंत्री बनाया गया, तो वे जनता के पास जाएंगे और आवश्यकता पड़ने पर अदालत भी जाएंगे।
सरकार पर गंभीर आरोप—‘पहली बार 40,000 करोड़ बांटने का वादा’
किशोर ने दावा किया कि आज़ाद भारत में पहली बार किसी सरकार ने चुनाव के दौरान लोगों के लिए 40,000 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया और यह NDA की जीत की बड़ी वजह बनी।उन्होंने कहा कि लोगों पर यह आरोप लगाना गलत है कि उन्होंने 10,000 रुपये में अपना वोट बेच दिया। उनके अनुसार, हर विधानसभा क्षेत्र में 60,000–62,000 लोगों को 10,000 रुपये दिए गए और 2 लाख रुपये का लोन देने का वादा किया गया उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी और जीविका दीदियों को वोटरों को इसका लाभ बताने के लिए लगाया गया था।
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