पटना,। पर्यावरणविदों, पक्षी प्रेमियों और स्थानीय जैव विविधता का अध्ययन करने वाले एक समूह ने एनआईटी–पटना परिसर में लाल छाती वाले तोते के दो जोड़े देखे हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया में पाए जाने वाली यह प्रजाति पहली बार बिहार में दर्ज की गई है।
एनआईटी–पटना में घोंसले के साथ दिखे दो जोड़े
समूह के सदस्य और वीर कुंअर सिंह विश्वविद्यालय के शोधार्थी निशांत रंजन ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची में शामिल लाल छाती वाला तोता (Psittacula alexandri) एनआईटी–पी परिसर में घोंसले के साथ नजर आया।इन तोतों को एनआईटी–पटना और पास के पटना साइंस कॉलेज के बीच उड़ते हुए भी देखा गया।
पटना विश्वविद्यालय की प्रोफेसर ने की पहली पुष्टि
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पटना विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग की प्रमुख शहला यास्मीन ने कॉलेज परिसर में सबसे पहले इन पक्षियों को देखा। उन्होंने बताया कि यह प्रजाति दक्षिण-पूर्व एशिया की मूल निवासी है और इसकी पहचान छाती पर मौजूद बड़े लाल धब्बे से आसानी से की जा सकती है।
इसे आम बोलचाल में ‘मूंछ वाला तोता’ भी कहा जाता है।
विशेषज्ञ भी हैरान, बिहार में पहली बार दर्ज
भारतीय पक्षी संरक्षण नेटवर्क (IBCN) के राज्य समन्वयक और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविंद मिश्रा ने भी इस अवलोकन पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा कि बिहार में इस प्रजाति को पहले कभी नहीं देखा गया, इसलिए यह दृश्य पक्षी-विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि इस प्रजाति को अपने मूल क्षेत्र में आवासन (habitat) के नुकसान का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2000 से 2023 के बीच 16% वन क्षेत्र नष्ट हो गया, जिससे इनकी संख्या पर बड़ा असर पड़ा है।
अवैध व्यापार भी है बड़ा खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार इस प्रजाति के लिए सबसे बड़ा खतरा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय अवैध पक्षी व्यापार है, जिसने इनकी आबादी में तेज गिरावट लाई है। पटना में इनका दिखना शोधकर्ताओं और पक्षी प्रेमियों के लिए एक नया उत्साह और अध्ययन का अवसर लेकर आया है।
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