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Rajasthan: सूबेदार भंवरलाल महला का निधन: गांव में शोक की लहर

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Rajasthan: सूबेदार भंवरलाल महला का निधन: गांव में शोक की लहर

 5 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा से दी जाएगी अंतिम विदाई

हृदयाघात से हुई वीर सपूत की मृत्यु

राजस्थान के निवासी और भारतीय सेना में सेवारत सूबेदार भंवरलाल महला का निधन हृदयाघात से हो गया। उनकी असामयिक मृत्यु की खबर से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।

झुंझुनूं जिले के बास नानक गांव के रहने वाले सेना के सूबेदार भंवरलाल महला की हार्ट अटैक से मौत हो गई। वे 43 वर्ष के थे और छुट्टी पर गांव आए हुए थे। अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें बीडीके अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम बीडीके अस्पताल में किया जाएगा। उनकी मौत की खबर से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। गांववासियों और सैकड़ों युवाओं द्वारा राणासर से बास नानक तक 5 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकालकर उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।

सूबेदार भंवरलाल महला भारतीय सेना में 2 जाट रेजीमेंट से जुड़े थे। उन्होंने 28 फरवरी 1998 को सेना ज्वॉइन की थी और देशभर में कई महत्वपूर्ण पोस्टिंग पर सेवाएं दीं।

दो साल पहले ही उनकी पोस्टिंग लेह स्थित 5RR यूनिट में हुई थी। वे बेहद अनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ और मिलनसार स्वभाव के अधिकारी थे।

12 जून को वे छुट्टी पर अपने गांव बास नानक परिवार से मिलने के लिए आए थे। घर पर रहते हुए अचानक तबीयत खराब हुई और देखते ही देखते परिवार के सिर से उनका साया उठ गया।

रिवार के हर सदस्य का सेना से जुड़ाव

सूबेदार भंवरलाल महला केवल खुद ही नहीं, बल्कि उनका पूरा परिवार भारतीय सेना से जुड़ा रहा है। इस परिवार को गांव और क्षेत्र में ‘फौजी परिवार’ के नाम से जाना जाता है।

  • पिता भी सेना में थे
  • भाई व बेटे भी रक्षा क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं

भंवरलाल महला का परिवार पूरी तरह सेना से जुड़ा हुआ है। उनके पिता महादाराम महला भारतीय सेना में हवलदार के पद से रिटायर्ड हुए हैं।

ताऊ फूलचंद भी हवलदार के पद से रिटायर थे और कुछ दिनों पहले ही उनका निधन हुआ था। वहीं, चाचा ताराचंद भी सेना में हवलदार रहे हैं। इतना ही नहीं, उनके चचेरे भाई भी आठ की संख्या में भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं। यह परिवार देशभक्ति की मिसाल माना जाता है।

उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। बेटी बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है जबकि बेटा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटा हुआ है। भाभी शिक्षिका हैं और दोनों भाई मजदूरी कर परिवार की जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं।

गांव के बुजुर्गों और ग्रामीणों के अनुसार, भंवरलाल बेहद विनम्र, सेवा भावी और समाजसेवी व्यक्तित्व के धनी थे। वे युवाओं को सेना में भर्ती के लिए प्रेरित करते रहते थे। उनके निधन की खबर सुनकर गांव में शोक का माहौल है।

तिरंगा यात्रा राणासर से शुरू होकर बास नानक तक निकाली जाएगी, जिसमें सैकड़ों युवा भाग लेंगे। सभी तिरंगे झंडे के साथ सूबेदार भंवरलाल महला को अंतिम विदाई देंगे।

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