नई दिल्ली । देश की राजधानी दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां का पीएम 2.5 स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक से 20 गुना ज्यादा है। यह खुलासा शिकागो विश्वविद्यालय की ‘एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (Air Quality Life Index) 2025’ रिपोर्ट में हुआ है।
पीएम 2.5 स्तर खतरनाक रूप से ऊंचा
रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में दिल्ली का औसत पीएम 2.5 स्तर 111.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जबकि डब्ल्यूएचओ का सुरक्षित मानक केवल 5 माइक्रोग्राम है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो दिल्लीवासियों की औसतन आयु 8.2 साल तक कम हो सकती है।
प्रदूषण के मुख्य कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली (Delhi) की जहरीली हवा के कई कारण हैं—
- सबसे बड़ा योगदान वाहनों के धुएं का (30–40%)
- 1.2 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड वाहन
- आसपास के औद्योगिक क्षेत्र और कोयला आधारित पावर प्लांट से भारी उत्सर्जन
- पराली जलाना (हरियाणा व पंजाब)
- धूल व निर्माण गतिविधियां (20% तक योगदान)
सर्दियों में तापमान गिरने और नमी बढ़ने से प्रदूषण और ज्यादा खतरनाक हो जाता है।
स्वास्थ्य पर घातक असर
पीएम 2.5 कण बेहद खतरनाक होते हैं क्योंकि ये फेफड़ों में गहराई तक जाकर—
- सांस की बीमारियां
- अस्थमा और ब्रॉन्काइटिस
- हार्ट अटैक और स्ट्रोक
- यहां तक कि कैंसर जैसी समस्याएं पैदा करते हैं।
लंग केयर फाउंडेशन के अनुसार, दिल्ली के करीब 30% बच्चे सांस की समस्या से जूझ रहे हैं।
2023 के आंकड़ों में सामने आया कि 20% हार्ट केस सीधे प्रदूषण से जुड़े थे।
आर्थिक नुकसान भी भारी
प्रदूषण से न केवल लोगों की सेहत बिगड़ रही है, बल्कि भारत को हर साल अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
हर 10 माइक्रोग्राम से घटती है जिंदगी
एक्यूएलआई रिपोर्ट बताती है कि पीएम 2.5 का हर 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर इजाफा इंसानी जिंदगी को औसतन 0.64 साल घटा देता है।
दिल्ली की मौजूदा स्थिति औसतन 8.2 साल की जीवन हानि का कारण बन रही है।
समाधान क्या है?
विशेषज्ञों ने सुझाव दिए हैं—
- वाहन नियंत्रण और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा
- औद्योगिक उत्सर्जन कम करना
- पराली जलाने पर रोक
- निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण
- बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण
यह रिपोर्ट दिल्ली के लिए खतरे की घंटी है और तुरंत ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।
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