केरल की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया [wik] को यमन में 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। उनकी फांसी 16 जुलाई 2025 को निर्धारित है। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई 2025 को उनकी सजा पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें केंद्र सरकार से राजनयिक हस्तक्षेप की मांग की गई थी। हालांकि, यमन में हूती विद्रोहियों का नियंत्रण और भारत के सीमित कूटनीतिक संबंध इस मामले को जटिल बना रहे हैं।
क्या था पूरा मामला ?
निमिषा का दावा है कि उन्होंने तलाल को केवल बेहोश करने के लिए इंजेक्शन दिया था ताकि अपना जब्त पासपोर्ट वापस ले सकें। उन्होंने तलाल पर उत्पीड़न और यौन शोषण का आरोप भी लगाया। फिर भी, यमनी अदालत ने हत्या और शव के टुकड़े करने के आरोपों को सही ठहराया, और उनकी अपीलें खारिज हो गईं।
अब निमिषा की जान बचाने की एकमात्र उम्मीद शरिया कानून के तहत “ब्लड मनी” (दियात) है, जिसमें पीड़ित परिवार को मुआवजा देकर माफी मांगी जा सकती है।
निमिषा के परिवार को मिला 8.5 करोड़ का प्रस्ताव
‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ और निमिषा की मां प्रेमा कुमारी इस दिशा में प्रयासरत हैं। सैमुअल जेरोम, जो यमन में बातचीत का नेतृत्व कर रहे हैं, ने पीड़ित परिवार को 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपये) की पेशकश की है, लेकिन परिवार ने अभी सहमति नहीं दी।
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यमन की संवेदनशील स्थिति के कारण वह निजी स्तर पर प्रयास कर रही है, लेकिन सार्वजनिक हस्तक्षेप से मामला और जटिल हो सकता है।
निमिषा का परिवार और समर्थक सरकार से ईरान के माध्यम से हूती प्रशासन पर दबाव डालने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सना में भारत की कोई औपचारिक राजनयिक उपस्थिति नहीं है। समय तेजी से कम हो रहा है, और निमिषा की सजा को टालने या माफी दिलाने की संभावना अब “ब्लड मनी” समझौते पर टिकी है। यह मामला भारत-यमन संबंधों की जटिलताओं और मानवीय संकट को उजागर करता है।