Pahalgam : पहलगाम में पर्यटकों को बचाने के लिए भिड़ गया सैयद हुसैन, आतंकियों ने भुन डाला

पहलगाम

पहलगाम : आतंकी हमले में देशभर में गुस्सा

श्रीनगर। पहलगाम आतंकी हमले को लेकर देशभर में गुस्सा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद अब तक कई सारी दर्दनाक कहानियां सामने आई। बताया गया कि आर्मी/पुलिस की यूनिफॉर्म पहने 5 आतंकी घास के मैदान में घुसे और गोलीबारी शुरू कर दी। आतंकियों ने धर्म पूछकर पुरुषों को ही निशाना बनाया। घायल एक महिला की माने तो उनके पति को इसलिए मारा गया क्योंकि वे मुसलमान नहीं थे।

पहलगाम : …जाओ मोदी को बता दो

हमले में मारे गए कर्नाटक के मंजूनाथ की पत्नी ने बताया कि जब उन्होंने आतंकियों से बोला कि मुझे भी मार दो, तब आतंकी बोला कि तुम्हें नहीं मारेंगे, जाओ मोदी को बता दो। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन टीआरएफ ने ली है। यह पर्यटकों पर 25 साल का सबसे बड़ा आतंकी हमला है।

जान गंवाने वाले में एक मुसलमान भी शामिल

कलमा पढ़ने के लिए बोला गया, नाम और धर्म पूछा गया फिर आतंकियों द्वारा गोली मारे जाने की पहलगाम से कई घटनाओं को आप अब तक जान चुके होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि पहलगाम के बैसरन इलाके में पर्यटकों पर हुए हमले में जान गंवाने वाले में एक मुसलमान भी शामिल है।

घुड़सवार सैयद हुसैन शाह की चली गई जान

पहलगाम में हुए अटैक में स्थानीय घुड़सवार सैयद हुसैन शाह की जान चली गई। वे पर्यटकों को बचाने की कोशिश कर रहे थे। सैयद हुसैन शाह, जो पर्यटकों के साथ घोड़े पर सवार थे। उन्होंने कथित तौर पर हमलावरों को रोकने की कोशिश की। उन्होंने हमलावरों से विनती करते हुए कहा कि पर्यटक निर्दोष हैं। कश्मीरियों के मेहमान हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

फूट-फूट कर रो पड़ीं मां

सैयद आदिल हुसैन शाह एक घुड़सवार थे और अपने परिवार के लिए अकेले कमाने वाले थे। वह उन 26 लोगों में शामिल थे जिन्होंने घातक पहलगाम आतंकी हमले में अपनी जान गंवा दी थी। मीडिया से बात करते हुए अपने बेटे की मौत के बारे में बताते हुए उनकी मां फूट-फूट कर रो पड़ीं। सैयद आदिल हुसैन शाह की मां ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला था।

रोते हुए मां बोली, उसके बिना हम क्या करेंगे?

अपने बेटे की मौत पर शोक जताते हुए सैयद आदिल हुसैन शाह की मां ने कहा कि वह रोती हुई आवाज और आंखों में आंसू लिए हुए कहती हैं। वह हमारा एकमात्र सहारा था। वह घुड़सवारी करता था और परिवार के लिए पैसे कमाता था। अब हमारे लिए कोई और नहीं है जो हमें सहारा दे सके। हमें नहीं पता कि उसके बिना हम क्या करेंगे।

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