मृदंगम वादक डॉ. येल्ला वेंकटेश्वर राव ने जुड़वा भाइयों को दिया आशीर्वाद
हैदराबाद: हैदराबाद के 9 वर्षीय जुड़वां वायलिन वादक जथिन और जसविन गुडीपुडी ने रविन्द्र भारती में ‘द्विनाद ध्वनि’ नामक संगीत कार्यक्रम में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि वायलिन वादक (Violinists) डॉ. अशोक गुरजाले के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित इन प्रतिभाशाली बच्चों ने लगभग 90 मिनट तक चले संगीत कार्यक्रम में जटिल रागों और भजनों का प्रदर्शन किया। संगीत समारोह (Music Concert) में उपस्थित मृदंगम वादक डॉ. येल्ला वेंकटेश्वर राव ने जुड़वा भाइयों को आशीर्वाद दिया तथा जटिल रागों, राग आलापना और स्वर कल्पना के अंशों को सहजता और कुशलता से प्रस्तुत करने की उनकी क्षमता की प्रशंसा की।
क्षेत्र के लिए गर्व की बात
तेलंगाना के संस्कृति विभाग के निदेशक डॉ. ममीदी हरिकृष्णा ने जेजे ब्रदर्स को ‘तेलंगाना का गौरव’ बताया। उन्हें तेलंगाना के अद्भुत बच्चे बताते हुए, हरिकृष्णा ने कहा कि इस छोटी सी उम्र में जेजे ब्रदर्स की उपलब्धियाँ युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं और इस क्षेत्र के लिए गर्व की बात हैं। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि संगीत कार्यक्रम के दौरान, जुड़वा बच्चों ने चारुकेसी राग में अदमोदी गलाडे, हंसध्वनि राग में वाथापि गणपति भजे, श्री रागम में प्रसिद्ध पंचरत्न कीर्तन एंडारो महानुभावुलु जैसी कृतियां बजाईं।
वायलिन को हिंदी में क्या कहते हैं?
संगीत जगत में वायलिन को हिंदी में “पश्चिमी सारंगी” या कभी-कभी केवल “सारंगी” कहा जाता है, हालांकि पारंपरिक सारंगी अलग वाद्य यंत्र है। यह एक तंतु वाद्य है, जिसे धनुष (बो) से बजाया जाता है और इसकी मधुर ध्वनि शास्त्रीय से लेकर आधुनिक संगीत में प्रयुक्त होती है।
वायलिन की कीमत कितनी है?
गुणवत्ता, ब्रांड और निर्माण सामग्री के आधार पर वायलिन की कीमत में काफी अंतर होता है। शुरुआती स्तर के वायलिन भारत में लगभग ₹3,000 से ₹10,000 तक मिल सकते हैं, जबकि पेशेवर गुणवत्ता वाले वायलिन की कीमत लाखों रुपये तक जा सकती है। आयातित और हस्तनिर्मित मॉडल महंगे होते हैं।
भारत के प्रसिद्ध वायलिन वादक कौन थे?
भारतीय संगीत में एल. सुब्रमण्यम, टी. एन. कृष्णन, एम. एस. गोपालकृष्णन और एल. शंकर जैसे वायलिन वादक प्रसिद्ध हुए हैं। इन कलाकारों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और फ्यूजन में वायलिन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। इनके योगदान ने वायलिन को भारतीय संगीत संस्कृति में विशेष स्थान दिलाया।
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