नई दिल्ली। देश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल (Shivraj Patil) का शुक्रवार को निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। लंबे समय से बीमार चल रहे पाटिल का इलाज अस्पताल में चल रहा था, जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली।
लातूर में हुआ निधन, लंबे समय से थे अस्वस्थ
जानकारी के अनुसार शिवराज पाटिल पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी (Health) समस्याओं से जूझ रहे थे। परिवार के सदस्यों ने बताया कि उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें लातूर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को डॉक्टरों ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की।
कांग्रेस के दिग्गज नेता—कई अहम पदों पर दी सेवाएं
शिवराज पाटिल कांग्रेस के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में उच्च स्तर की कई जिम्मेदारियां संभालीं।
उनकी प्रमुख भूमिकाएँ—
- केंद्रीय गृह मंत्री (यूपीए सरकार)
- लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर)
- केंद्रीय कैबिनेट में कई अहम विभागों की जिम्मेदारी
- सूचना एवं प्रसारण, रक्षा और विदेश मामलों से जुड़े विभागों में भी भूमिका
नेतृत्व क्षमता और संसदीय मर्यादा को लेकर उन्हें हमेशा एक संयमित और शालीन नेता के रूप में याद किया जाता है।
लातूर से 7 बार बने सांसद
शिवराज पाटिल महाराष्ट्र के लातूर क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय थे। उन्होंने लातूर लोकसभा सीट (Latur Lokasabha Seat) से सात बार जीत दर्ज की। उनकी राजनीतिक पकड़ और जनता से निकटता ने उन्हें इस क्षेत्र का एक प्रभावशाली नेता बनाया।
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राजनीति में छह दशक का लंबा सफर
1960 के दशक में राजनीति की शुरुआत करने वाले पाटिल ने लगभग छह दशक तक सक्रिय राजनीतिक जीवन जिया। उन्होंने संसद में शालीनता और संवाद की संस्कृति को बढ़ावा दिया। संसदीय बहसों में उनकी समझ और संयम की अक्सर तारीफ की जाती थी
कांग्रेस नेताओं ने जताया शोक
पाटिल के निधन की खबर के बाद राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं ने उनके योगदान को ऐतिहासिक बताते हुए श्रद्धांजलि दी। पार्टी ने कहा कि “शिवराज पाटिल का निधन कांग्रेस और देश के लिए अपूरणीय क्षति है।”
पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटील कौन है?
शिवराज पाटिल (जन्म 12 अक्टूबर 1935) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे 2004 से 2008 तक भारत के गृह मंत्री और 1991 से 1996 तक लोकसभा के दसवें अध्यक्ष रहे। वे 2010 से 2015 तक पंजाब राज्य के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक रहे।
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