रुद्रप्रयाग। इस साल प्राकृतिक प्रकोप कुछ ज्यादा ही दिखाई दिया है। भूस्खलन और बाढ़ ने बहुत कुछ तहस-नहस कर दिया है। हिमाचल, उत्तराखंड (Uttrakhand) और पंजाब इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस बार देश में हालात ऐसे हो गए हैं कि धार्मिक यात्राएं तक रोकनी पड़ी। अब केदारनाथ से बड़ी खबर सामने आई है, यहां के ऊपरी क्षेत्र में चोराबाड़ी ग्लेशियर के पास हिमस्खलन हुआ।
मंदिर के पीछे बढ़ रही घटनाएं
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) के पीछे की पहाड़ी पर ग्लेशियर टूटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस पूरी घटना का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें ग्लेशियर टूटकर नीचे गिरता नजर आ रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ा खतरा
दरअसल ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर का बर्फ तेजी से पिघलने लगता है और उसका एक हिस्सा टूट कर अलग हो जाता है। ग्लेशियर का जब कोई बड़ा टुकड़ा टूटता है तो उसे “काल्विंग” कहते हैं।
प्रशासन ने दी जानकारी
रुद्रप्रयाग (Rudrapryag) जिला प्रशासन ने एक बयान में कहा कि हिमस्खलन दोपहर करीब 2 बजे केदारनाथ मंदिर से पांच किलोमीटर ऊपर दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि स्थिति सामान्य है, लेकिन एहतियात के तौर पर बचाव दल को अलर्ट पर रखा गया है।
घबराने की जरूरत नहीं : प्रशासन
प्रशासन का कहना है कि मौसम और प्राकृतिक परिस्थितियों के कारण उच्च हिमालयी क्षेत्र में हिमस्खलन सामान्य है। प्रशासन ने लोगों से न घबराने की अपील की है और अफवाहों या भ्रामक जानकारी फैलाने से बचने का आग्रह किया।
केदारनाथ में पैदल कितने किलोमीटर चलना पड़ता है?
केदारनाथ पैदल यात्रा लगभग 16 किलोमीटर की है, जो गौरीकुंड से शुरू होती है और केदारनाथ धाम तक जाती है. हालांकि, यात्रा की अवधि और कठिनाई, इसमें शामिल चढ़ाई और बदलती परिस्थितियों के कारण, इसे पहली बार जाने वाले लोग कम आंक सकते हैं.
केदारनाथ में कितने ज्योतिर्लिंग हैं?
उत्तराखण्ड के सीमान्त जनपद रूद्रप्रयाग के उत्तरी भाग में हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य भारत के द्वादस ज्योतिर्लिंग में श्री केदारनाथ एकादश ज्योतिर्लिंग के नाम से विख्यात है तथा हिमालय में स्थित होने से सभी ज्योतिर्लिंगों में सर्वोपरि है।
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