काठमांडू, 11 सितंबर 2025 — नेपाल (Nepal) की मौजूदा राजनीतिक हलचल के बीच पूर्व प्रधानमंत्री (KP Oli) ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा, “अगर मैं भारत के सामने झुक जाता, तो शायद मेरी सरकार आज भी चल रही होती।” उनके इस बयान ने नेपाल की राजनीति और भारत-नेपाल संबंधों पर नई बहस छेड़ दी है।
बयान का राजनीतिक संदर्भ
नेपाल लंबे समय से आंतरिक अस्थिरता और बाहरी दबावों से जूझ रहा है। हालिया जन-आंदोलन और सत्ता परिवर्तन ने इस अस्थिरता को और गहरा किया है। पूर्व प्रधानमंत्री का यह बयान इस ओर इशारा करता है कि भारत का प्रभाव नेपाल की राजनीति में कितना अहम है।
नेपाल की सत्ता में बैठे कई नेता अक्सर भारत और चीन के बीच संतुलन साधने की कोशिश करते रहे हैं। ऐसे में यह स्वीकारोक्ति कि भारत के साथ टकराव या स्वतंत्र नीति अपनाने के कारण सरकार गिर गई, अपने आप में बड़ा संकेत है।
भारत-नेपाल रिश्तों पर असर
भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रिश्ते गहरे हैं। भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और रणनीतिक दृष्टि से भी नेपाल की स्थिरता भारत के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में सीमा विवाद, नक्शा विवाद और राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोपों ने रिश्तों में खटास ला दी।
पूर्व प्रधानमंत्री के बयान से यह संदेश गया कि भारत के साथ संबंध संतुलित रखना किसी भी नेपाली सरकार के लिए अनिवार्य है। भारत के साथ टकराव का मतलब न केवल कूटनीतिक तनाव, बल्कि आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता भी हो सकता है।
आलोचना और समर्थन
पूर्व प्रधानमंत्री के इस बयान पर नेपाल में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। उनके समर्थकों का कहना है कि उन्होंने सच्चाई को सामने रखा है और यह दिखाया है कि नेपाल को अपनी स्वतंत्र नीति पर अडिग रहना कितना कठिन है। वहीं आलोचकों का कहना है कि यह बयान भारत को दोषी ठहराने की कोशिश है, जबकि असल समस्या नेपाल की आंतरिक राजनीति और भ्रष्टाचार है।
ये भी पढ़े