नई दिल्ली,। बिहार की राजनीति में इस बार प्रशांत किशोर (PK) का फैक्टर निर्णायक साबित हो सकता है। उन्होंने अपनी पार्टी जन सुराज के जरिए एनडीए (NDA) और इंडी गठबंधन के बीच मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। हालांकि उनकी पार्टी का वास्तविक असर नतीजों के बाद ही साफ होगा, लेकिन फिलहाल पीके ने चुनावी माहौल को बदलने में सफलता हासिल कर ली है।
एनडीए नेताओं पर गंभीर आरोप
प्रशांत किशोर ने हाल ही में डिप्टी सीएम और भाजपा नेता सम्राट चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल (Delip Jaiswal) और जदयू मंत्री अशोक कुमार चौधरी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। इन आरोपों ने एनडीए को बैकफुट पर ला दिया है। अब तक एनडीए भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आरजेडी को घेरता रहा है, लेकिन इस बार भाजपा-जदयू के नेताओं पर ही सवाल उठ गए हैं।
और बड़े खुलासों का दावा
पीके का दावा है कि उनके पास और भी बड़े खुलासे करने के सबूत मौजूद हैं, जिन्हें वह जनता के सामने रखने वाले हैं। इन आरोपों ने बिहार में एनडीए की छवि को नुकसान पहुंचाया है।
आरजेडी को उम्मीद, लेकिन सीमाएं भी
वहीं, आरजेडी को उम्मीद है कि इसका सीधा फायदा उन्हें चुनाव में मिलेगा। पार्टी नेताओं का मानना है कि एनडीए पर लगे आरोप उनकी पकड़ कमजोर करेंगे। हालांकि यह भी सच है कि खुद आरजेडी लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोपों के साये में रही है, इसलिए वह जनता को पूरी तरह आश्वस्त नहीं कर पा रही।
विकास के मुद्दे पर भी आक्रामक
प्रशांत किशोर सिर्फ आरोपों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्होंने बिहार में विकास के मुद्दे पर भी अलग राय रखकर माहौल बनाया है। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर वे लगातार नीतीश और तेजस्वी यादव दोनों पर निशाना साध रहे हैं। उनका प्रयास है कि जनता उन्हें एक नए विकल्प के तौर पर मौका दें।
एनडीए ने आरोपों को नकारा
पीके के आरोपों को एनडीए नेताओं ने बेबुनियाद करार दिया है। सम्राट चौधरी ने कहा कि प्रशांत किशोर महज पब्लिसिटी पाने के लिए यह सब कर रहे हैं। जदयू नेता चौधरी ने भी आरोपों को खारिज किया। बावजूद इसके, बिहार की सियासत में गरमाहट बढ़ गई है।
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