हैदराबाद,। कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Sashi Throor) ने हैदराबाद (Hyderabad) में एक कार्यक्रम में पार्टी की विचारधारा पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाल के वर्षों में पहले से कहीं अधिक वामपंथी हो गई है। यह बदलाव भाजपा की विभाजनकारी राजनीति का मुकाबला करने की रणनीति का हिस्सा है। थरूर की टिप्पणी पार्टी की ऐतिहासिक मध्यमार्गी छवि से विचलन को रेखांकित करती है।
भाजपा बनाम कांग्रेस गठबंधन पर थरूर का जवाब
थरूर से पूछा गया कि क्या भाजपा के खिलाफ कांग्रेस (Congress) और वामपंथी दलों का गठबंधन रेडिकल सेंट्रिज्म का उदाहरण है। उन्होंने जवाब दिया कि उनके विचार सिद्धांतों और विचारधारा पर केंद्रित हैं, जहां दूरियां पाटने की जरूरत है। हालांकि, रणनीतिक समायोजन बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, कुछ मायनों में, इसका नतीजा यह हुआ है कि मेरी पार्टी पहले से कहीं ज्यादा वामपंथी बन गई है। यह भाजपा की नीतियों के विरोध में हो रहा है। थरूर ने स्पष्ट किया कि यह बदलाव विपक्षी भूमिका से उपजा है।
मध्यमार्ग से वामपंथ की ओर: थरूर का विश्लेषण
थरूर ने डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस को मध्यमार्गी बताया। उस दौर में पार्टी ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की कुछ नीतियों से प्रेरणा ली। 1990 के दशक में नरसिम्हा राव के नेतृत्व में शुरू की गईं आर्थिक सुधार नीतियां थीं, जिन्हें भाजपा ने सत्ता में आने पर अपनाया। थरूर के अनुसार, 1991 से 2009 तक का दौर मध्यमार्गी था। पार्टी ने उदारीकरण और बाजार सुधारों को बढ़ावा दिया।
2010 के बाद बदलाव तेज, वामपंथी एजेंडे पर जोर
लेकिन 2009 के बाद यह बदलाव शुरू हुआ, जो विपक्ष में रहते हुए तेज हो गया। थरूर ने इस वामपंथी झुकाव को भाजपा की “विभाजनकारी राजनीति” का मुकाबला बताया। कांग्रेस अब सामाजिक न्याय, वेलफेयर योजनाओं और वामपंथी एजेंडे पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा, पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस पहले की तुलना में कहीं ज्यादा वामपंथी हो गई है। यह रणनीतिक समायोजन है या दार्शनिक बदलाव, यह भविष्य तय करेगा।
पार्टी के भीतर नई बहस के संकेत
थरूर की टिप्पणी पार्टी के अंदरूनी बहस को उजागर करती है। पहले आडवाणी की तारीफ पर विवाद के बाद यह बयान फिर चर्चा में है।
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