Balochistan: पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। हाल ही में मानवाधिकार संगठन ‘पांक’ (BNM का मानवाधिकार विभाग) ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान की सेना ने बलूच समुदाय के 7 और लोगों को जबरन गायब कर दिया है। यह घटनाएं मई महीने के दूसरे सप्ताह के भीतर दर्ज की गई हैं, जो कि राज्य प्रायोजित दमन का प्रमाण मानी जा रही हैं।
कौन-कौन हुए लापता?
‘पांक’ की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 मई को ग्वादर जिले के नवीद बलूच, मस्तुंग के एडवोकेट अत्ताउल्लाह बलूच, और मश्कई तहसील के शाह नवाज बलूच को पाकिस्तानी संरक्षण बलों ने उनके घरों से उठाया और तब से वे लापता हैं। इनमें से एक हादसा में शाह नवाज को उसके पिता के साथ सेना के कैंप में बुलाया गया था, जहां से सिर्फ़ उसके पिता को छोड़ा गया।
क्या कहता है मानवाधिकार संगठन?
‘पांक’ ने इसे “मानवता के विरुद्ध अपराध” करार देते हुए कहा है कि इन घटनाओं के पीछे एक व्यापक और संगठित नीति है। प्रतिवेदन में कहा गया है कि पीड़ितों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया या वारंट के उठाया जाता है, और उनके परिजन महीनों तक उनकी कोई खबर नहीं पा पाते।

अंतरराष्ट्रीय दबाव की मांग
Balochistan: संगठन ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं से निवेदन की है कि वे पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाएं ताकि जबरन गायब किए गए लोगों को तुरन्त रिहा किया जा सके। साथ ही, बलूचिस्तान में हो रही इन दमनकारी कार्रवाइयों को रोका जा सके।
डर और दहशत का माहौल
बलूचिस्तान में रहने वाले आम लोगों में भय का माहौल है। लगातार हो रही इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि राज्य तंत्र कानून से ऊपर काम कर रहा है और न्याय की आशा बहुत कम रह गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोई भी अपनी बात खुलकर कहने में डरता है क्योंकि अगला नंबर उसका भी हो सकता है।