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Breaking News: FDI: सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश को मिलेगी नई उड़ान

Dhanarekha
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Breaking News: FDI: सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश को मिलेगी नई उड़ान

20% से बढ़कर 49% तक बढ़ेगी सीमा

नई दिल्‍ली: भारत सरकार सरकारी बैंकों(Public Sector Banks) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(FDI) की सीमा को मौजूदा 20% से बढ़ाकर 49% करने की योजना पर काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव पर भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) से राय मांगी गई है। इसका उद्देश्य सरकारी बैंकों को अधिक पूंजी जुटाने और निजी बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा में मजबूत बनाना है। वित्त मंत्रालय और आरबीआई इस विषय पर पिछले कुछ महीनों से चर्चा कर रहे हैं

निवेश सीमा बढ़ाने का उद्देश्य और असर

इस प्रस्ताव से सरकारी बैंकों को पूंजी के ‘इंजेक्शन’ के रूप में बड़ी राहत मिल सकती है। फिलहाल, जहां निजी बैंकों में विदेशी निवेश(FDI) की सीमा 74% तक है, वहीं सरकारी बैंकों में यह केवल 20% है। यदि सीमा बढ़ाकर 49% की जाती है, तो यह अंतर काफी हद तक कम हो जाएगा। इससे सरकारी बैंकों को वैश्विक निवेशकों से अधिक फंड प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी पूंजी स्थिति और ऋण वितरण क्षमता में सुधार संभव है।

वर्तमान में भारत के पास 12 सरकारी बैंक हैं जिनकी कुल संपत्ति मार्च 2025 तक लगभग 1.95 ट्रिलियन डॉलर रही है। यह पूरे बैंकिंग क्षेत्र का लगभग 55% हिस्सा है। सरकार इन बैंकों में कम से कम 51% हिस्सेदारी बनाए रखना चाहती है ताकि नियंत्रण उसके पास ही रहे। इसका अर्थ है कि स्वामित्व भले ही साझा हो, लेकिन संचालनिक अधिकार सरकार के हाथ में रहेंगे।

विदेशी निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी

हाल ही में विदेशी निवेशकों(FDI) की भारत के बैंकिंग क्षेत्र में रुचि तेजी से बढ़ी है। दुबई की एमिरेट्स एनबीडी ने आरबीएल बैंक में 60% हिस्सेदारी 3 अरब डॉलर में खरीदने की घोषणा की है, जो अब तक का सबसे बड़ा विदेशी अधिग्रहण है। इसके अतिरिक्त, जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन ने यस बैंक में 20% हिस्सेदारी खरीदी थी।

आरबीआई ने सिंगापुर के डीबीएस बैंक और कनाडा के फेयरफैक्स को भी भारतीय बैंकों में निवेश की मंजूरी दी है। यह सब संकेत देता है कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर अंतरराष्ट्रीय पूंजी के लिए तेजी से आकर्षण का केंद्र बन रहा है।

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आर्थिक विकास और कर्ज की बढ़ती मांग

पिछले तीन वित्तीय वर्षों में भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर लगभग 8% रही है, जिससे ऋण की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस मांग ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया है जो तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनना चाहते हैं। हालांकि, आरबीआई फिलहाल व्यापक नीतिगत सुधार की बजाय सौदों को अलग-अलग मंजूरी देने के पक्ष में है। यह कदम सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए जरूरी है, मगर इससे नीति निर्धारण की गति धीमी हो सकती है।

विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने से क्या लाभ होंगे?

इससे सरकारी बैंकों को अधिक पूंजी मिलेगी, जिससे वे निजी बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा में सक्षम बन सकेंगे। साथ ही, यह देश की वित्तीय प्रणाली में स्थिरता और तरलता बढ़ाने में मदद करेगा।

क्या सरकार बैंकों पर नियंत्रण खो देगी?

नहीं, सरकार कम से कम 51% हिस्सेदारी अपने पास रखेगी। इसका अर्थ है कि प्रबंधन और निर्णय लेने की प्रमुख शक्तियां सरकार के ही नियंत्रण में रहेंगी।

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