अशोक चिह्न तोड़ने की घटना ने बढ़ाई धार्मिक और सामाजिक संवेदनशीलता
- स्थान: हजरतबल दरगाह, श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर)
- तारीख: 5 सितंबर 2025 (ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का दिन)
- यह दरगाह कश्मीर की सबसे पवित्र इस्लामी जगहों में से एक मानी जाती है।
- कुछ दिन पहले वक्फ बोर्ड द्वारा दरगाह में नवीनीकरण कराया गया था।
- उद्घाटन वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने किया था।
Jammu and Kashmir : जम्मू-कश्मीर (Jammu) के श्रीनगर की हज़रतबल दरगाह में 3 दिन पहले हुए जीर्णोद्धार के बाद लगाए गए संगमरमर को लेकर लोगों ने शुक्रवार को हंगामा कर दिया। मस्जिद के अंदर एक मूर्ति स्थापित करने के आरोपों लगाते हुए लोगों ने जमकर बवाल किया और गुस्साए लोगों ने पट्टिका पर अशोक चिह्न भी तोड़ दिया।
अशोक प्रतीक चिह्न की स्थापना को लेकर हंगामा
ईद-ए-मिलाद (eid-e-milad) के अवसर पर शुक्रवार को श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में तनाव फैल गया। इस दौरान दरगाह में प्रदर्शनकारियों ने हाल ही में हुए जीर्णोद्धार कार्यों के खिलाफ अपना गुस्सा जताया। यह बवाल मस्जिद के अंदर एक मूर्ति रखे जाने के आरोपों के बाद शुरू हुई।
जिसमें अशोक प्रतीक चिह्न वाली संगमरमर की स्थापनाएं भी शामिल थी। बताया गया है कि इस दौरान हंगामा कर रहे कुछ लोगों के एक समूह ने एक पट्टिका पर लगे अशोक प्रतीक को तोड़ दिया। इस दौरान काफी देर तक दरगाह पर हंगामा चलता रहा।
इस्लाम में मूर्ति पूजा सख्त मना- विधायक तनवीर सादिक
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि स्थिति तेजी से बिगड़ती चली गई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा कि मस्जिद के अंदर किसी भी मूर्ति की स्थापना अस्वीकार्य है। यह विरोध प्रदर्शन वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और भाजपा नेता डॉ. दरख़्शां अंद्राबी द्वारा प्रतिष्ठित हजरतबल दरगाह के पुनर्निर्मित गर्भगृह का उद्घाटन करने के कुछ ही दिनों बाद हुआ है।
इस्लाम में मूर्ति पूजा सख्त मना है, यह सबसे बड़ा पाप है
Jammu and Kashmir : वहीं हंगामे बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता और विधायक तनवीर सादिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि “मैं कोई धार्मिक विद्वान नहीं हूं, लेकिन इस्लाम में मूर्ति पूजा सख्त मना है, यह सबसे बड़ा पाप है। हमारे ईमान की बुनियाद तौहीद है।” सादिक ने पवित्र स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि “श्रद्धेय हजरतबल दरगाह में एक मूर्ति स्थापित करना इसी मान्यता के विरुद्ध है। पवित्र स्थलों में केवल तौहीद की पवित्रता झलकनी चाहिए, और कुछ नहीं।”
राष्ट्रीय प्रतीक को कलंकित करके बहुत बड़ा अपराध किया- डॉ. दरख़्शां अंद्राबी
हज़रतबल दरगाह में शुक्रवार को हुए हंगामे के वायरल वीडियो पर भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख़्शां अंद्राबी ने कहा कि “यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्रीय प्रतीक को कलंकित करना एक आतंकवादी हमला है और हमलावर एक राजनीतिक दल के गुंडे हैं। इन लोगों ने पहले भी कश्मीर को बर्बाद किया और अब वे खुलेआम दरगाह शरीफ के अंदर आ गए हैं। हमारे प्रशासक बाल-बाल बचे। भीड़ ने उन पर भी हमला किया।
इस भीड़ ने राष्ट्रीय प्रतीक को कलंकित करके बहुत बड़ा अपराध किया है। उन्होंने दरगाह की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है। एक बार उनकी पहचान हो जाने पर, उन्हें आजीवन दरगाह में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।”
हज़रतबल दरगाह का इतिहास क्या है?
हज़रतबल दरगाह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें पैगंबर मुहम्मद का एक पवित्र अवशेष, एक बाल, रखा है, जिसे मोई-ए-मुक़द्दस कहा जाता है। कहानी यह है कि यह बाल पैगंबर के एक वंशज बीजापुर लाए थे; उनके वंशजों ने, जब वे कठिन समय से गुज़रे, इसे एक कश्मीरी व्यापारी नूरुद्दीन ईशाई को बेच दिया।
दरगाह हजरतबल में किसे दफनाया गया है?
शेख मुहम्मद अब्दुल्ला की कब्र हजरतबल में है।
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