भादवा बीज पर पूरे राजस्थान सहित देशभर में बाबा रामदेवजी के मेले
- राजस्थान के पोकरण में स्थित बाबा रामदेव का मुख्य मंदिर
- श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का स्थान
एक ही धाम में बाबा रामदेवजी के जीवन की संपूर्ण झलक
- जन्मस्थली से लेकर समाधि स्थल तक की भव्य झांकी
- श्रद्धालु करते हैं अवतारी स्वरूप से समाधि तक की यात्रा
Barmer : भादवा बीज पर जहां पूरे राजस्थान सहित देशभर में बाबा रामदेवजी (baba ramdevji) के मेले लगते हैं. वहीं बाड़मेर Barmer जिले के काश्मीर रामदेरिया स्थित अवतार धाम अपनी अनूठी मान्यता और भव्यता से श्रद्धालुओं को खास आकर्षित करता है. यह इकलौता मंदिर है, जहां बाबा रामदेवजी के अवतार से लेकर समाधि तक के दर्शन एक साथ मिलते हैं. यहां दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु राजस्थान के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित अन्य राज्यों से आते है।
भक्ति का रंग, आस्था की तरंग और श्रद्धालुओं का उमड़ता जनसैलाब जी हां! काश्मीर के अवतार धाम में भादवा बीज (bhaadava beej) पर हर साल ऐसा नजारा देखने को मिलता है, मानो आस्था का दरिया ही बह निकला हो. मान्यता है कि यहां बाबा रामदेवजी के अवतार से लेकर समाधि तक के दर्शन किए बिना रामदेवरा की यात्रा अधूरी मानी जाती है. यही वजह है कि लाखों श्रद्धालु यहां खिंचे चले आते हैं।
पहले खेजड़ी के पेड़ के नीचे होती थी पूजा
Barmer : पहले यहां श्रद्धालु खेजड़ी के पेड़ के नीचे बने छोटे से मंदिर में दर्शन करते थे, लेकिन बढ़ती आस्था और श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए अब यहां जैसलमेर के पत्थरों से बारीक नक्काशी कर एक विशाल और भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया है।
करीब 30 करोड़ रुपये की लागत से बने इस मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है. मंदिर की कारीगरी इतनी बेजोड़ है कि इसे देखने वाला हर भक्त मंत्रमुग्ध हो जाता है. यहां हर साल भादवा बीज पर विशाल मेले का आयोजन होता है, जहां भक्त भजन-कीर्तन और भक्ति संगीत में डूबकर बाबा रामदेवजी की महिमा का गुणगान करते हैं. यहां बीज के दिन करीब 1 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. मंदिर के बाहर से अयोध्या के मिनी राम मंदिर की तरह नजर आता है. इसमें प्रवेश करते ही बाबा रामदेवजी के जीवनकाल,चमत्कार अरबघटनाओं को उकेरा गया है।
काैन थे बाबा रामदेवजी?

बाबा रामदेवजी का जन्म विक्रम संवत 1409(1352वी ईस्वी सन) को बाड़मेर जिले के काश्मीर में हुआ था. उनके पिता का नाम अजमालजी तंवर, माता मैणादे और पत्नी का नाम नेतलदे था. बाबा रामदेवजी ने 33 साल की उम्र में जीवित समाधि ले ली थी. उन्होंने जैसलमेर जिले के रूणिचा में विक्रम संवत 1442 को जीवित समाधि ली थी।
सामाजिक समरसता का दिया था संदेश
अवतार धाम रामदेरिया ट्रस्ट के सचिव ओमप्रकाश बताते हैं कि बाबा रामदेवजी ने छुआछूत के खिलाफ कार्य कर पिछड़े वर्ग का पक्ष ही नहीं लिया बल्कि उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच भाईचारे को बढाने का काम किया. उन्होंने कहा कि पहले यहां एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे दर्शन करते थे. अब यहां भव्य मंदिर बनाया गया है, जिसमें अवतार से लेकर समाधि के दर्शन करते हैं. यहां श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन और पयेजल की व्यवस्था की गई है।
2025 में बाबा रामदेव जी की बीज कब है?
रामदेवरा: श्रावण सुदी बीज: 26 जुलाई 2025 को मनाए जाएगी।
बाबा रामदेव जी की समाधि कहाँ है?
रामदेव ने 33 वर्ष की आयु में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को वीएस 1442 में राजस्थान के रामदेवरा (पोखरण से 10 किमी) में समाधि ली। रामदेवजी के समाधि स्थल वाला मंदिर परिसर राजस्थान के रामदेवरा (पोखरण से 10 किमी.) में स्थित है।
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