वाराणसी । भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत को गुरुवार सुबह बड़ा आघात लगा। ठुमरी और पुरब अंग की गायकी को वैश्विक मंच तक पहुंचाने वाले दिग्गज गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। गुरुवार तड़के 4:15 बजे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के मेडिकल इंस्टीट्यूट में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार वाराणसी के मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) पर किया जाएगा।
पीएम मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा
“सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी योगदान दिया। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनका स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहा। वर्ष 2014 में वे वाराणसी से मेरे प्रस्तावक भी रहे थे।”
आजमगढ़ से काशी तक का सफर
पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ। संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उन्हें अपने पिता बदरी प्रसाद मिश्र से मिली। बाद में उन्होंने किराना घराने के उस्ताद अब्दुल घनी खान से शास्त्रीय संगीत की गहन तालीम ली।
मशहूर तबला वादक पंडित अनोखेलाल मिश्र के घर वे दामाद बने। काशी की धरती से जुड़कर उन्होंने अपनी गहरी और भावपूर्ण आवाज से ठुमरी और दादरा को नई पहचान दिलाई।
पुरस्कार और उपलब्धियां
पंडित छन्नूलाल मिश्र को संगीत के क्षेत्र में अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले।
- 2010 में पद्मभूषण
- 2020 में पद्मविभूषण
- ‘सुर सिंगार संसद’ का शिरोमणि पुरस्कार
- यूपी संगीत नाटक अकादमी सम्मान
- बिहार संगीत शिरोमणि पुरस्कार
- नौशाद अवॉर्ड
इसके अलावा भारत सरकार ने उन्हें संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप से भी सम्मानित किया।
फिल्मों में भी दी आवाज
शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने के साथ ही उन्होंने हिंदी फिल्मों में भी गाया। साल 2011 में प्रकाश झा की फिल्म ‘आरक्षण’ में उनके गाए गीत ‘सांस अलबेली’ और ‘कौन सी डोर’ विशेष रूप से चर्चित हुए।
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