नई दिल्ली: बांग्लादेश (Bangladesh) में आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हुजी) के पुनर्जनन और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ इसकी गुप्त बैठकों ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। एनडीटीवी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, हुजी को जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से फिर से सक्रिय होने का मौका मिल रहा है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है।
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हुजी, जो पहले 2000 के दशक में बांग्लादेश में कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा था, अब नए सिरे से संगठित हो रहा है। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तान की आईएसआई ने हाल ही में हुजी के नेताओं के साथ कई गुप्त बैठकें की हैं, जिनमें आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने और क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने की योजनाएं बनाई गई हैं। इसके साथ ही, जमात-ए-इस्लामी का समर्थन हुजी को और मजबूती प्रदान कर रहा है, जो भारत के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है।
भारत, जो बांग्लादेश के साथ 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, इस घटनाक्रम को गंभीरता से ले रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि हुजी की गतिविधियां और आईएसआई का समर्थन भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल में सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है। खासकर, सीमा पार से आतंकी घुसपैठ और हथियारों की तस्करी की आशंका बढ़ गई है।
भारतीय खुफिया एजेंसियां इस स्थिति पर करीब से नजर रख रही हैं और बांग्लादेश सरकार के साथ इस मुद्दे पर सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। हाल के वर्षों में बांग्लादेश ने आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं, लेकिन हुजी जैसे संगठनों का पुनर्जनन और बाहरी ताकतों का समर्थन क्षेत्रीय शांति के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रहा है।
भारत ने पहले भी बांग्लादेश से आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है। अब, इस नए खतरे के मद्देनजर दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत और बढ़ गई है।
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