भारत की कीमत पर नहीं, पाकिस्तान से दोस्ती
वॉशिंगटन: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो(Marco Rubio) ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहता है, लेकिन यह भारत की कीमत पर नहीं होगा। उन्होंने शनिवार को कहा कि अमेरिका(America) और पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करते रहे हैं, और इससे भारत के साथ अमेरिका की अच्छी दोस्ती को कोई नुकसान नहीं होगा। जब उनसे भारत की संभावित चिंता के बारे में पूछा गया, तो रुबियो ने भारतीय डिप्लोमेसी(Indian Diplomacy) की समझदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय नेतृत्व जानता है कि अमेरिका को कई देशों के साथ रिश्ते रखने पड़ते हैं, जो कि एक समझदारी भरी विदेश नीति का हिस्सा है। रुबियो ने दोहराया कि उनका काम है कि वे जितने देशों के साथ हो सके, दोस्ती के रास्ते ढूंढें, और पाकिस्तान के साथ उनका बढ़ा हुआ सहयोग भारत के साथ उनके मजबूत रिश्तों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
रणनीतिक दोस्ती फिर बनाने की पहल
अमेरिका(America) पाकिस्तान के साथ अपनी ‘रणनीतिक दोस्ती’ को फिर से मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है। रुबियो ने एक पत्रकार के सवाल के जवाब में कहा कि पाकिस्तान के साथ बात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद नहीं, बल्कि उससे पहले ही शुरू हो गई थी। अमेरिका मानता है कि वह पाकिस्तान के साथ कई मुद्दों पर एक साथ काम कर सकता है। दोनों देशों के बीच संबंधों में मजबूती इसी साल मई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद ज्यादा देखने को मिली। राष्ट्रपति ट्रम्प ने 10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने का दावा किया था, जिसका पाकिस्तान ने समर्थन किया और ट्रम्प को नोबेल के लिए नामित भी किया। इसके अलावा, पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर और शहबाज़ शरीफ ने व्हाइट हाउस में ट्रम्प से मुलाकातें की हैं, जिससे दोनों देशों के बीच नजदीकी बढ़ी है।
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अमेरिका को बलूचिस्तान में पोर्ट का प्रस्ताव
पाकिस्तान अपनी ओर से अमेरिका(America) के साथ आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने के लिए सक्रिय है। इसी महीने पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर के सलाहकारों ने अमेरिका को बलूचिस्तान में एक पोर्ट विकसित करने का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव पसनी शहर में अरब सागर के किनारे एक नया बंदरगाह विकसित करने और उसे चलाने के लिए अमेरिकी निवेशकों को आमंत्रित करता है। यह पोर्ट चीन के ग्वादर पोर्ट से सिर्फ 112 किलोमीटर दूर है। प्रस्ताव में यह साफ किया गया है कि यह बंदरगाह केवल व्यापार और खनिजों के लिए होगा, और अमेरिका को यहां सैन्य बेस बनाने की अनुमति नहीं होगी। यह कदम पाकिस्तान के महत्वपूर्ण खनिजों, जैसे तांबा और एंटीमनी तक अमेरिका की आसान पहुंच सुनिश्चित करेगा। विशेषज्ञ इसे अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को चीन के प्रभाव से दूर रखने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान से दोस्ती मजबूत करने को लेकर क्या स्पष्टीकरण दिया है?
रुबियो ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते मजबूत करना चाहता है, लेकिन यह भारत या किसी अन्य देश के साथ उसके अच्छे रिश्तों की कीमत पर नहीं होगा। उनका मानना है कि पाकिस्तान के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाना भारत के साथ दोस्ती को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
पाकिस्तान ने अमेरिका को बलूचिस्तान में क्या प्रस्ताव दिया है और इसका क्या महत्व है?
पाकिस्तान ने अमेरिका(America) को बलूचिस्तान के पसनी शहर में अरब सागर के किनारे एक नया पोर्ट (बंदरगाह) विकसित करने और चलाने का प्रस्ताव दिया है। इसका महत्व यह है कि यह अमेरिका को पाकिस्तान के महत्वपूर्ण खनिजों तक आसान पहुंच देगा और इसे चीन के ग्वादर पोर्ट से सिर्फ 112 किलोमीटर की दूरी पर स्थित करके अमेरिका को इस क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी का मौका मिलेगा, हालांकि यह पोर्ट सिर्फ व्यापार के लिए होगा।
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