राख से उजागर हुई दुर्लभ धातुएं
नई दिल्ली: इथियोपिया(Ethiopia) के हेली गुब्बी ज्वालामुखी की राख भारत तक पहुंच गई, जिससे कई राज्यों में आसमान धुंधला हो गया। यह ज्वालामुखी(Volcano) लगभग 12 हजार वर्षों बाद फटा और इसका गुबार लाल सागर पार करते हुए यमन व ओमान से होकर दिल्ली के ऊपर तक आ गया। एयरलाइंस ने उड़ानें रद्द कर दी हैं, क्योंकि राख स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है, साथ ही वैज्ञानिक इसे मूल्यवान खनिजों का स्रोत भी मानते हैं।
राख में मौजूद धातुएं आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इनमें कुछ तत्व पृथ्वी पर बहुत कम मात्रा में मिलते हैं, जिससे उनकी कीमत सामान्य धातुओं की तुलना में काफी अधिक होती है। इस वजह से ज्वालामुखी राख का खनिज विश्लेषण विशेषज्ञों के लिए अत्यंत उपयोगी माना जा रहा है।
राख में मौजूद मूल्यवान तत्व
ज्वालामुखी(Volcano) राख में रोडियम जैसी महंगी धातु पाई जाती है, जिसकी कीमत सोने से लगभग दोगुनी है। इसके साथ सोना(Gold), चांदी, एल्यूमीनियम, आयरन, जिंक, कॉपर और निकिल जैसे प्रमुख तत्व भी मौजूद रहते हैं। हालांकि ये सभी धातुएं मुक्त अवस्था में नहीं मिलतीं, किंतु प्रोसेसिंग के बाद इन्हें अलग किया जा सकता है।
राख की संरचना मुख्यतः सिलिकेट खनिजों पर आधारित होती है। इसमें आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, लेड, कैडमियम और आर्सेनिक जैसे खनिज भी पाई जाते हैं। राख की धातु संरचना ज्वालामुखी(Volcano) की मैग्मा रासायनिक संरचना और विस्फोट के प्रकार पर निर्भर करती है।
रोडियम की दुर्लभता और बढ़ती मांग
रोडियम दुनिया की सबसे महंगी धातुओं में शामिल है। इसका उपयोग ज्वेलरी पॉलिशिंग, ऑटोमोबाइल उत्सर्जन नियंत्रण और विशेष औद्योगिक उपकरणों में होता है। राख से इसे अलग करना अत्यंत कठिन होता है, जिसके कारण इसकी कीमत और बढ़ जाती है।
वर्तमान बाजार में 10 ग्राम रोडियम की कीमत लगभग 2.32 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है, जबकि उसी वजन का सोना लगभग 1.25 लाख रुपये में मिल रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में उद्योगों में इसकी मांग और तेज हो सकती है।
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स्वास्थ्य को गंभीर खतरा
कीमती धातुओं के साथ राख में ऐसे तत्व भी होते हैं जो मानव शरीर के लिए बेहद खतरनाक हैं। लेड, कैडमियम, आर्सेनिक और मर्करी जैसे धातु शरीर में जाकर गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।
राख के महीन कण सांस के जरिए फेफड़ों में जमा होकर संक्रमण, सांस की समस्या और भारी धातु विषाक्तता जैसी स्थितियां पैदा कर सकते हैं। विशेषज्ञों ने लोगों को प्रभावित क्षेत्रों में सावधानी बरतने और सुरक्षात्मक उपाय अपनाने की सलाह दी है।
ज्वालामुखी राख लंबी दूरी तक क्यों फैलती है
विस्फोट के बाद राख ऊंचे वायुमंडलीय स्तरों में पहुंच जाती है और तेज हवाओं के साथ हजारों किलोमीटर दूर तक फैल जाती है। इसी प्रक्रिया के कारण यह भारत के उत्तरी क्षेत्रों में भी पहुंच गई।
राख के सूक्ष्म कण शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं
राख के बेहद छोटे कण फेफड़ों में जाकर सांस लेने में दिक्कत, सूजन तथा धातु विषाक्तता जैसी समस्याएं उत्पन्न करते हैं। निरंतर संपर्क में रहने पर यह दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा कर सकते हैं।
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