नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हाल ही में पारित ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) संवर्धन और विनियमन अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस अधिनियम को दिल्ली, कर्नाटक और कलकत्ता उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है, और केंद्र ने इन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में स्थानांतरित करने की मांग की है ताकि परस्पर विरोधी फैसलों से बचा जा सके। सरकार ने इस मामले में जल्द सुनवाई की अपील की है, जिस पर मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अगले सप्ताह सुनवाई की सहमति दी है।
ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 भारत में ऑनलाइन गेमिंग के लाइसेंसिंग, वर्गीकरण और विनियमन के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है। इसका उद्देश्य अवैध सट्टेबाजी, मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय धोखाधड़ी जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है, जो हाल के वर्षों में ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर तेजी से बढ़ी हैं। सरकार का तर्क है कि यह कानून डिजिटल गेमिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा, जबकि आलोचकों का कहना है कि यह कठोर नियम स्टार्टअप्स और लाखों नौकरियों को खतरे में डाल सकते हैं।
इसी बीच, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप ‘1xBet’ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व भारतीय क्रिकेटर शिखर धवन को पूछताछ के लिए समन किया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 39 वर्षीय धवन का इस ऐप से विज्ञापनों के जरिए संबंध माना जा रहा है। ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनका बयान दर्ज करेगी ताकि उनके और इस ऐप के बीच संबंधों की गहराई को समझा जा सके।
यह पहली बार नहीं है जब ईडी ने इस मामले में हाई-प्रोफाइल हस्तियों से पूछताछ की हो। इससे पहले क्रिकेटर सुरेश रैना, हरभजन सिंह, युवराज सिंह और अभिनेता सोनू सूद व उर्वशी रौतेला भी इस जांच के दायरे में आ चुके हैं। ‘1xBet’ जैसे प्लेटफार्मों पर अवैध सट्टेबाजी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों ने ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पर नियामक जांच को और तेज कर दिया है।
यह दोनों घटनाएं भारत में ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी के क्षेत्र में बढ़ते नियामक दबाव को दर्शाती हैं। एक ओर सरकार इस क्षेत्र को व्यवस्थित करने और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कदम उठा रही है, वहीं उद्योग और विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक सख्त नियम नवाचार और रोजगार सृजन को बाधित कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट का आगामी फैसला इस उद्योग के भविष्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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