मिजोरम । मिजोरम राज्य की राजधानी आइजोल सायरंग स्टेशन (Izol Syrong Station) के माध्यम से देश के रेल नेटवर्क से जुड़ चुकी है। यातायात, संपर्क, अर्थव्यवस्था और पयर्टन के अलावा सुरक्षा सामरिक दृष्टि से यह बेहद महत्वपूर्ण है। वर्ष 2030 तक उत्तर पूर्वी सीमांत 7 राज्यों की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में रेलवे का यह बड़ा कदम बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को आइजोल जाकर यात्री ट्रेन का हरी झंडी दिखाएंगे।
दो जिलों कोलासिब और आइज़ोल जिलों से होकर गुजरती है
रेलवे के सूत्रों का कहना है कि असम से मिजोरम तक वंदे भारत ट्रेन चलाई जा सकती है। 51.38 किलोमीटर लंबी यह रेलवे लाइन मिजोरम के दो जिलों कोलासिब और आइज़ोल जिलों से होकर गुजरती है। लाइन में हरतकी, कॉनपुई, मुअलखांग, सायरंग स्टेशन हैं। बइरबी स्टेशन असम बॉर्डर (Assam Border) के निकट स्थित है और आइजोल पहुंचने वाले यात्री असम के रास्ते यहां पहुंच पाएंगे। ट्रेनों की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा होगी। पूर्वोतर सीमांत रेलवे गुवाहाटी के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा के अनुसार यहां रेल पटरी बिछाने का काम जोखिम भरा रहा। पूरी लाइन घने जंगल से होकर गुजरती है, जिसमें गहरी खाइयां, खड़ी पहाड़ियां हैं।
114 मीटर तक की अधिकतम ऊंचाई वाले छह ऊंचे पुल हैं
यहां 70 मीटर से अधिक और 114 मीटर तक की अधिकतम ऊंचाई वाले छह ऊंचे पुल हैं। एक ब्रिज 114 मीटर उंचा है, जो कि दिल्ली के कुतुबमीनार (72 मीटर) से 42 मीटर अधिक उंचा है। कुल लंबाई का 23 प्रतिशत मार्ग पुलों से होकर गुजरता है, 55 बड़े पुल, जबकि छोटे पुलों की संख्या 88 है। सभी सुरंगों में ब्लास्ट रहित ट्रैक बिछाया गया है। इस रेल लाइन में 45 सुरंगें हैं, जो कुल ट्रैक की 31 प्रतिशत हैं। सबसे लंबी सुरंग 1.868 कि.मी.लंबाई वाली है। सुरंगों और पुलों के अलावा, 23.715 किलोमीटर (46 प्रतिशत) ट्रैक खुला है। ज़्यादातर हिस्सा गहरी कटाई के द्वारा तैयार किया गया है।
शपथ लेने के बाद 29 नवंबर 2014 को आधारशिला रखी थी
चूंकि राज्य में करीब 10 महीने बारिश होती है, इसके बाद भूस्खलन रोकने और संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपायों का ध्यान रखा गया है। 11 वर्ष में निर्माण पूर्ण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने पहली बार पीएम पद की शपथ लेने के बाद 29 नवंबर 2014 को आधारशिला रखी थी। 21 मार्च 2016 को असम बॉर्डर से सटे मिजोरम के बइरबी तक रेल मार्ग को ब्रॉड गेज में परिवर्तित किया था। तब पहली मालगाड़ी बइरबी पहुंची थी। वर्तमान में किसी को मिजोरम पहुंचना हो तब हवाई मार्ग से 3 घंटे में पहुंचा जा सकता है, जबकि सड़क का संकरा मार्ग बहुत लंबा हैं, दिल्ली से 50 घंटे यानि 2 दिन 2 रात यात्रा करनी पड़ती है। मैदानी इलाके में 1 किलोमीटर तक रेल लाइन बिछाने में करीब 10 से 12 करोड़ का खर्च आता है।
रेल लाइन के लिए 617 करोड़ रुपए खर्च होते
इस लिहाज से 51.38 किलो मीटर लंबी बइरबी-सायरंग रेल लाइन के लिए 617 करोड़ रुपए खर्च होते, लेकिन यह रेल लाइन इतनी चुनौती भरी है कि इसमें लंबी-लंबी टनल और ऊंचे-ऊंचे ब्रिज बनाए गए हैं। आधा से अधिक रेलमार्ग टनल-पुल से गुजरती है। इस लाइन की लागत 8071 करोड़ रुपये आई। यह लागत हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनाने के बराबर है। चौथा राज्य बना मिजोरम उत्तर पूर्व के यह 7 राज्यों को 7 सिस्टर्स स्टेट इन इंडिया कहा जाता है। अभी असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश में ट्रेन चल रही हैं। मिजोरम में इसी महीने ट्रेन दौड़ने वाली है। जबकि मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और सिक्किम रेल नेटवर्क से बाहर हैं।
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