पाकिस्तान में एक बार फिर से अंदरूनी विद्रोह की चिंगारी भड़क रही है। इस बार आग लगी है खैबर पख्तूनख्वा और इस्लामाबाद की मस्जिदों से। खैबर पख्तूनख्वा की एक मस्जिद में मौलाना मोहम्मद रंगीला ने सार्वजनिक में कहा, “अगर इंडिया पाकिस्तान पर आक्रमण करता है, तो हम इंडिया का साथ देंगे।” इस बयान ने पाकिस्तान की सत्ता और सेना दोनों को हिला दिया है।
बलूचिस्तान जैसा दर्द, अब खैबर में भी
मौलाना रंगीला का यह बयान सिर्फ एक आवाज़ नहीं है, बल्कि उन हजारों लोगों की नाराज़गी का प्रतिनिधित्व करता है जो पाकिस्तान की सेना के जुल्म से त्रस्त हैं। जैसे बलूचिस्तान में लोग गायब होते रहे, वैसे ही खैबर में भी जनता पर जुल्म हुए। अब वहां की जनता खुलकर बोल रही है कि पाकिस्तान की सेना पर उन्हें कोई विश्वास नहीं है।
इस्लामाबाद की लाल मस्जिद से गवर्नमेंट को चुनौती
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की मशहूर लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अज़ीज़ गाज़ी ने भी एक चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने साफ कहा कि वे इंडिया के विरुद्ध युद्ध में पाकिस्तान गवर्नमेंट और सेना का समर्थन नहीं करेंगे। बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान में मुसलमानों पर इंडिया से अधिक दमन होता है।
जनता ने भी नहीं दिया सेना को समर्थन
लाल मस्जिद में मौलाना गाज़ी ने जब मस्जिद में मौजूद लोगों से पूछा कि “कौन इंडिया के विरुद्ध जंग में पाकिस्तान की सेना का साथ देगा?” तो किसी ने हाथ तक नहीं उठाया। इससे साफ है कि पाकिस्तान की आवाम अब सेना की प्रणाली से उब चुकी है।
मौजूदा हालात: जिन्ना का पाकिस्तान बिखर रहा है?
इन हालातों को देखकर यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या जिन्ना का पाकिस्तान अंदर से टूट रहा है? जब देश की मस्जिदों से बगावत के नारे उठने लगें, तो दुश्मन की आवश्यकता नहीं होती। पाकिस्तान की सेना, जो अब तक अपनी ताकत के दम पर देश को कंट्रोल करती रही, अब अपनी ही जनता के विरोध का सामना कर रही है।