मणिपुर में कुकी-जो समुदाय ने राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (NH-2) को यात्रियों और आवश्यक वस्तुओं की मुक्त आवाजाही के लिए खोलने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA), मणिपुर सरकार और कुकी-जो काउंसिल (KZC) के बीच नई दिल्ली में हुई कई बैठकों के बाद 4 सितंबर 2025 को लिया गया।
जातीय हिंसा के बिच हुआ था बंद
यह राजमार्ग मणिपुर को नागालैंड और पूर्वोत्तर भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण जीवन रेखा है, जो मई 2023 से शुरू हुए जातीय तनाव के कारण अवरुद्ध था। इस तनाव के कारण मणिपुर में व्यापक हिंसा, जान-माल का नुकसान और हजारों लोगों का विस्थापन हुआ, जिससे मानवीय संकट गहरा गया। गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार, कुकी-जो काउंसिल ने NH-2 के साथ शांति बनाए रखने के लिए केंद्र द्वारा तैनात सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करने का वचन दिया है।
सामान्य स्थिति को बहाल करने की कोशिश
यह कदम मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने और विस्थापित परिवारों व राहत शिविरों में रह रहे लोगों की कठिनाइयों को कम करने की दिशा में एक विश्वास-निर्माण उपाय माना जा रहा है। NH-2 के खुलने से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति आसान होगी, जो इम्फाल घाटी और अन्य क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है।
सरकार संगठन की बिच कैसा समझौता
इसी के साथ, गुरुवार को नई दिल्ली में गृह मंत्रालय, मणिपुर सरकार और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) व यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के बीच एक त्रिपक्षीय निलंबन संचालन (SoO) समझौता भी हुआ। यह समझौता एक वर्ष के लिए लागू होगा और इसमें मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने और स्थायी शांति के लिए बातचीत के जरिए समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
KNO और UPF ने सात नामित शिविरों को संघर्ष-संवेदनशील क्षेत्रों से हटाने, शिविरों की संख्या कम करने, हथियारों को निकटतम CRPF/BSF शिविरों में स्थानांतरित करने और विदेशी नागरिकों को बाहर करने के लिए सख्त सत्यापन पर सहमति जताई है। यह समझौता मणिपुर में मई 2023 से शुरू हुए मैतेई-कुकी-जो संघर्ष के बाद शांति प्रक्रिया को पुनर्जनन देने का प्रयास है। केंद्र सरकार के इस कदम को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 12 या 13 सितंबर को मणिपुर की संभावित यात्रा से पहले हुआ है।
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