Delhi Blast Investigation : लाल किले के बाहर हुए धमाके की जांच अब एक बेहद अहम मोड़ पर पहुँच चुकी है। जांच एजेंसियाँ अब जिस सुराग पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही हैं, वह है — उमर उन्न नबी के वे दो मोबाइल फोन, जिन्हें वह हमले से पहले तक इस्तेमाल करता देखा गया था। अधिकारियों के मुताबिक, ये फोन मिलते ही पूरे नेटवर्क, हैंडलर्स, फंडिंग और बड़े षड्यंत्र की असल तस्वीर सामने आ सकती है।
इन दोनों फोन को आखिरी बार हरियाणा के धौज बाज़ार की एक मेडिकल दुकान के CCTV फुटेज में देखा गया था। यह वही समय था जब उमर अपने अंतिम दिनों में लगातार डिवाइस बदल रहा था। प्रारंभिक जांच से पता चला कि उसने अपने पुराने दोनों नंबर 30 अक्टूबर को बंद कर दिए—उसी दिन उसका सहयोगी डॉक्टर मुझम्मिल शकील गिरफ्तार हुआ था। इससे साफ है कि उमर को एजेंसियों की कार्रवाई का आभास हो गया (Delhi Blast Investigation) था, और उसने ट्रैकिंग से बचने के लिए फर्जी पहचान पर खरीदे गए नए प्रीपेड नंबरों का इस्तेमाल शुरू कर दिया।
धौज मार्केट की फुटेज में उमर दो मोबाइल फोन के साथ नज़र आता है—एक फोन वह दुकान वाले को चार्ज करने देता है, जबकि दूसरे पर लगातार उपयोग करता दिखता है। जांचकर्ताओं के अनुसार, इसका मतलब है कि एक फोन दैनिक बातचीत के लिए था और दूसरा सिर्फ “हैंडलर्स” से एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन के लिए।
पिछले 10 दिनों में NIA, दिल्ली स्पेशल सेल और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उमर के अंतिम 36 घंटों की सेकंड-बाय-सेकंड टाइमलाइन तैयार की है। उसके सफर—नूंह से फरीदाबाद और फिर दिल्ली—को 65 से अधिक CCTV फुटेज, टॉवर डंप्स, चैट लॉग और स्थानीय गवाहियों के आधार पर जोड़ा जा रहा है।
लेकिन एक दिलचस्प तथ्य सामने आया—
9 नवंबर की शाम के बाद से उमर के हाथ में कोई फोन दिखाई नहीं देता।
न तो तुर्कमान गेट की फैज़ इलाही मस्जिद की फुटेज में, और न ही लाल किले की पार्किंग में जहाँ वह हमले से 3 घंटे पहले से मौजूद था।
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इससे यह शक गहरा हुआ है कि या तो उसने फोन किसी को सौंप दिए, या फिर रास्ते में कहीं नष्ट कर दिए। मस्जिद में वह लगभग 15 मिनट रहा था। स्टाफ का कहना है कि उन्होंने उसे किसी से बात करते नहीं देखा। लेकिन जांच अधिकारी कहते हैं —“डेटा का गायब होना भी एक प्रकार का सबूत है। उन 15 मिनट में कुछ हुआ है।”
एजेंसियाँ अब उस समय मस्जिद में मौजूद सभी लोगों की पहचान कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या फोन किसी को हैंडओवर किए गए थे।
इस बीच टॉवर डंप्स में दो अज्ञात IMEI नंबर मिले हैं, जिनकी लोकेशन नूंह और तुर्कमान गेट दोनों जगह उमर के रास्ते के समानांतर चलती हुई दिखी। यह दोनों फोन अब प्रमुख संदिग्ध बन गए हैं।
जांच में यह भी सामने आया है कि उमर लगातार Signal, Briar, Element जैसे हाई-एन्क्रिप्शन ऐप्स का इस्तेमाल करता था और कोड वर्ड्स—“delivery”, “testing”, “shipment”—से बातचीत करता था। यह तरीका किसी अकेले कट्टरपंथी का नहीं, बल्कि एक प्रशिक्षित ऑपरेटिव का होता है।
जांच को एक और बड़ा सुराग तब मिला जब 10 नवंबर तड़के 1:07 बजे की फुटेज सामने आई। इसमें उमर नूंह जिले के फीरोज़पुर झिरका में एक HDFC ATM से ₹76,000 नकद निकालता दिखा। सुरक्षा गार्ड के (Delhi Blast Investigation) अनुसार, वह बेहद घबराया और जल्दी में था। कार की पीछे की सीट पर बेडशीट से ढंके हुए सामान भी थे। पूछताछ के अनुसार, यह नकदी संभवतः हमले से पहले की अंतिम तैयारी के लिए थी।
पुलिस को लाल किले blast site के पास से 9mm की दो जिंदा गोलियाँ और एक खाली कारतूस भी मिले हैं। ये आमतौर पर सुरक्षा बलों या अनुमति प्राप्त व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। हथियार का कोई हिस्सा नहीं मिला, जिससे यह शक पैदा हुआ है कि उमर रास्ते में हथियार को कहीं फेंक आया था—या फिर इस साजिश में कोई दूसरा व्यक्ति भी शामिल हो सकता है।
फरीदाबाद, नूंह, बल्लभगढ़ और गुरुग्राम की सीमाओं में तलाशी तेज कर दी गई है। मस्जिदों, किराए के कमरों, मेडिकल दुकानों और कोचिंग सेंटरों में लगातार छापे डाले जा रहे हैं। नए किराएदारों और संदिग्ध लोगों पर विशेष नजर रखी जा रही है। अधिकारियों का कहना है — “ये दो फोन अगर मिल गए… तो पूरी साजिश हमारे सामने खुल जाएगी।”
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